देवमाली गांव बना देश का बेस्ट टूरिस्ट विलेज, यहां जमीन लोगों के नाम नहीं भगवान देवनारायण के नाम पर हैं


देवमाली गांव को देश का बेस्ट टूरिस्ट विलेज घोषित किया है। देवमाली गांव राजस्थान के ब्यावर जिले के मसूदा उपखंड में है। केंद्र सरकार की ओर से 27 नवंबर को दिल्ली में अवार्ड देकर इस गांव को सम्मानित किया जाएगा।

पर्यटन मंत्रालय की ओर से सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव प्रतियोगिता  (Devmali village declared the best tourist village of the country) का आयोजन किया गया था। इसमें उन गांवों को शामिल किया गया था, जो पर्यटन के साथ-साथ हमारी संस्कृति को बनाए हुए है। समुदाय आधारित मूल्य और जीवन शैली के अलावा सामाजिक और पर्यावरण आदि में उसे बैलेंस किए हुए है।

इस कैटगिरी में देवमाली को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के रूप में चुना गया है। देवमाली गांव की खास बात ये है कि यहां करीब 3 हजार बीघा जमीन भगवान देवनारायण के नाम है। इसी वजह से यहां लोगों के नाम के पट्टे तक नहीं है। पर्यटन क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए कलेक्टर उत्सव कौशल ने देवमाली पर केंद्रित रूरल टूरिज्म की एक डॉक्यूमेंट्री लॉन्च की थी।

तत्कालीन उपखंड अधिकारी भरत राज गुर्जर के निर्देशन में बनाई गई डॉक्युमेंट्री में देवमाली के वास्तविक ग्रामीण जन जीवन और वहां पर्यटन की संभावनाओं को शूट किया गया था। इसके बाद तत्कालीन एसडीएम भरतराज गुर्जर ने बताया-दिसम्बर 2023 में इसकी डॉक्युमेंट्री बनाई और जनवरी 2024 में मंत्रालय को भेजी गई थी। इस डॉक्युमेंट्री में गांव के वास्तविक स्वरूप के साथ, गांव की परंपरा, लोक जीवन और संस्कृति को दिखाया गया था। इसी डॉक्यमुेंट्री के आधार पर गांव का सिलेक्शन बेस्ट टूरिस्ट विलेज के तौर पर हुआ है।

 गांव में आज भी मकान मिट्टी के बने हुए

मसूदा उपखंड में अरावली के बीच बसे देवमाली गांव में कई मायनों में अनोखा है। गांव के सभी मकान आज भी मिट्टी से बने हैं, जिन पर केलु की छत है। गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान श्री देवनारायण का सुप्रसिद्ध मंदिर है जहां हर साल लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। इस गांव में नीम की लकड़ी जलाना और केरोसिन के उपयोग पर पाबंदी है। खास बात ये भी है कि इस गांव के लोग आज भी शराब और नोनवेज नहीं खाते है। घर बनाने में यहां सीमेट बजरी का इस्तेमाल भी नहीं किया जाता। पिछले महीने यहां जॉली एलएलबी-3 की शूटिंग भी हुई थी।

 यह है मान्यता

गांव में पहाड़ी पर एक देवनारायण भगवान का मंदिर है। मान्यता है कि बरसों पहले जब देवनारायण भगवान यहां से आए ताे उन्होंने कुछ दिन रहने के लिए एक ठिकाना मांगा। गुर्जर समाज के लाेगाें ने कहा, कच्चे घर में हम रहेंगे और आप पक्के में रहिए। देवनारायण भगवान काे दिए उस वचन काे निभाने के लिए आज भी काेई भी परिवार ताे सीमेंट बजरी का उपयोग करता है और ही पक्का घर बनाता है। घर में सुविधाएं सब है, लेकिन ये लाेग पीली मिट्टी, पत्थर आदि परंपरागत सामग्री से ही अपने घर बनाते हैं। ये लाेग छतों पर केलू ही लगाते हैं। सभी ने कच्चे गड्ढे ही बना रखे हैं। गांव में केवल सरकारी भवन मंदिर पक्का है,बाकी सभी मकान कच्चे ही हैं।

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