वृंदावन में श्री चैतन्य महाप्रभु के आगमन की 500 वीं जंयती पर स्मारक और सिक्के

नई दिल्ली। 'वृन्दावन में श्री चैतन्य महाप्रभु के आगमन की 500वीं जयंती के उपलक्ष्य में सालभर चलने वाले कार्यक्रम के मद्देनजर शुक्रवार को 500 रूपए के स्मारक गैर-प्रचलन सिक्के और 10 रुपये के प्रचलन सिक्के जारी किए।
कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने भक्ति योग के वैष्णव संप्रदाय की स्थापना की थी। श्री चैतन्य महाप्रभु ने भगवान श्री कृष्ण की उपासना का प्रचार किया और “हरे कृष्ण मंत्र” के जाप को लोकप्रिय बनाया। वर्ष 1515 में श्री चैतन्य महाप्रभु भगवान श्री कृष्ण से जुड़े पवित्र स्थानों की खोज में वृंदावन में पधारे थे। माना जाता है कि उन्होंने अपनी आध्यात्मिक शक्ति से भगवान श्री कृष्ण से जुड़े सभी स्थानों को खोज निकाला और धार्मिक परंपरा की प्राचीन पवित्रता को दोबारा स्थापित किया।
भारत सरकार वृंदावन में श्री चैतन्य महाप्रभु के आगमन की 500 वीं जंयती मना रही है। जिसके तहत विभिन्न कार्यक्रमों तथा वृंदावन अनुसंधान संस्थान तथा इस्कॉन के सहयोग से श्री चैतन्य महाप्रभु के जीवन एवं शिक्षाओं पर प्रदर्शनियों का आयोजन किया जा रहा है। उद्घाटन समारोह 25 नवम्बर, 2015 को वृंदावन में आयोजित किया गया। यह आयोजन वृंदावन अनुसंधान संस्थान ने किया था। एक दूसरा कार्यक्रम वृंदावन अनुसंधान संस्थान ने 5 – 7 नवम्बर, 2016 को श्री चैतन्य महाप्रभु के जन्म स्थान मायापुर, नादिया में किया था। “श्री चैतन्य प्रेम रथ” नामक चलित प्रदर्शनी 8 फरवरी, 2016 को वृंदावन से रवाना हुई थी, जो उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा के विभिन्न स्थानों से गुजरते हुए 9 मार्च, 2016 को दिल्ली पहुंची थी। दिल्ली के इस्कॉन ने इस अवसर पर यहां 28 मई, 2016 को एक अलग समारोह का आयोजन किया था। 
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