जानकी नवमी या सीता नवमी वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन सीता जी का प्रकट्य हुआ था।
सीता जी को आद्यशक्ति, सर्वमंगलदायिनी, वरदायनी माना जाता है। पति की लंबी उम्र की कामना और संतान के लिए Janki Navami का व्रत किया जाता है। Sita Navami व्रत सौभाग्यवती स्त्रियां अपने वैवाहिक जीवन की सुख-शान्ति के लिए करती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान श्रीराम भी प्रसन्न होते है और उनकी कृपा बनी रहती है।
सीता के नाम में उनकी उत्पत्ति का राज छिपा है। मिथिला के राजा महाराज जनक के संतान नहीं थी। एक बार वे संतान प्राप्ति की कामना के लिए यज्ञ करने के लिए यज्ञभूमि तैयार कर रहे थे। उस दौरान एक बालिका प्रकट हुई। उस बालिका का नाम सीता रखा गया। दरअसल, भूमि जोतने के लिए काम आने वाले हल को सीता भी कहा जाता है।
राजा जनक ने बालिका को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया, इसलिए वे जानकी और जनक नंदनी कहलाई। मिथिला की राजकुमारी होने से मैथिली तथा राजा जनक के विदेहराज होने के नाते वैदेही नाम से भी जानी जाती है।
पति और पत्नी के बीच कितना होना चाहिए उम्र का फासला?
राम जी से सात साल और एक महीने छोटी थी सीता
श्री वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान राम अपनी पत्नी सीता से सात साल और एक महीने बड़े थे। राम के जन्म के सात वर्ष तथा एक माह बाद मिथिला में सीता जी का प्राकट्य हुआ।
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