1500 साल पुराने इस मंदिर में आज भी होती है इस खास घड़ी के अनुसार पूजा


राजस्थान में उदयपुर जिले में ऋषभदेव में स्थित केसरिया जी मंदिर लगभग डेढ़ हजार साल पुराना है। केसरियाजी में पूजा आज भी एक खास घड़ी के अनुसार होती है। 

झीलों की नगरी उदयपुर में कई धार्मिक और पर्यटक स्थल हैं। इनमें ऋषभदेव में स्थित केसरिया जी Kesaria Ji मंदिर प्रमुख है। ऋषभदेव Rishabhdev  में स्थित केसरिया जी मंदिर का मंदिर  Shree Kesariya Jain Temple उदयपुर Udaipur से करीब 65 किमी दूर है। 

समय देखने के लिए आज कई तरह की घड़ियां है। जिनमें सटीक समय पता लगाया जा सकता है, लेकिन यहां आज भी जल घड़ी Jal Gadhi (water watch) से ही समय का अनुमान लगाया जाता है। इस जल घड़ी Jal Ghadi के अनुसार ही पूजा-अर्चना होती है। यह जल घड़ी केसरियाजी के मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर स्थापित है। 

यह अनोखी घड़ी लकड़ी के बक्से में ताम्बे के बड़े भगोने में पानी भरकर रखा जाता है। इस भगोने में एक कटोरा होता है।  कटोरे में एक छेद होता है। यह कटोरा तैरता रहता है। इस छेद के कारण कटोरा 24 मिनट में पानी से भर जाता है। जैसे ही यह कटोरा भरता है गार्ड घंटी बजाता है और समय की सूचना देता है।

भारतीय समय IST Time से मंदिर के कार्यों के समय में 45 मिनट का अंतर होता है। एक घड़ी 24 मिनट की मानी जाती है। आठ घड़ी का एक प्रहर होता है और चार प्रहर का एक दिन माना जाता है। यह 

जल घड़ी: प्राचीन काल में प्राप्त थी मान्यता


प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों ने एक विशेष और अलग तरह की घड़ी को इज़ाद किया था, जो पानी के ऊपर आधारित थी, जिसे घटिका यंत्र Ghatika Yantra कहा गया। यह घड़ी भी वैसी ही है।

प्राचीन भारतीयों ने दिन और रात को पहले 60 भागों में बांट दिया था, जिसे 'घड़ी' कहा गया। रात और दिन को चार भागों में बांट दिया, जिन्हें 'पहर' कहा गया। जल घड़ी को प्राचीन समय मापक उपकरण के रूप में मान्यता प्राप्त है। उस वक्त धूप घड़ी की भी मान्यता थी। जयपुर Jaipur के प्रसिद्ध जंतर-मंतर Jantar Mantar में धूप घड़ी Sun dial आज भी विद्यमान है। जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह Sawai Jaisingh इसी घड़ी के आधार पर ज्योतिषी गणना करते थे। पिंकसिटी जयपुर में स्थित जंतर-मंतर को देखने हर साल लाखों ट्यूरिस्ट आते हैं। 
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