आदिवासी क्षेत्र में बनेगा अनूठा बाल मंदिर, प्रसाद में मिलेगी ​बुक

बच्चों के लिए अनूठा बाल मंदिर बनेगा। इस मंदिर में भगवान के बाल स्वरुप मूर्तियां स्थपित होगी। यहां बाल भक्तों को प्रसाद में बाल साहित्य मिलेगा। 


इस अनूठे बाल मंदिर की कल्पना राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र बांसवाड़ा में की जा रही है। घाटोल में प्रस्तावित इस मंदिर के बारे में राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी के अनुसार, यह मंदिर बच्चों को समर्पित होगा। मीड़िया में दिए बयान के मुताबिक मंदिर निर्माण का उद्देश्य बाल अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें बाल अपराधों के खिलाफ जागरुक करना है।

दीवारों पर बाल चालीसा


बाल मंदिर की दीवारों पर बाल चालीसा लिखवाया जाएगा। इस चालीसा में बच्चों के अधिकारों की जानकारी दी जाएगी। मंदिर में बाल  हनुमान, लड्डू गोपाल, बाल गणेश, कृष्ण, बाल कार्तिकेय के जीवन से जुड़ी कहानियां और उनसे तस्वीरें देखने को मिलेगी। भक्तों को प्रसाद के रूप में बाल साहित्य देने पर भी विचार किया जा रहा है। 

एमपी मणिशंकर निमामा ने कहा कि इस खास मंदिर में जिन आदिवासी बच्चों के नाम कोई उपलब्धि है उन​के स्टेच्यू भी मंदिर परिसर में लगाए जाएंगे। यहां पर कुपोषण दूर करने के लिए हवन और पूजा कराई जाएगी। बाल सेना का गठन भी किया जाएगा। साथ ही यहां समय-समय पर बच्चों के कार्यक्रम आयोजित होंगे। 
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