प्राचीन शिव धाम ताड़केश्वर मंदिर के नामकरण की रोचक है कहानी

फेमस शिव मंदिरों में ताड़केश्वर मंदिर प्रमुख है। यह प्राचीन शिव मंदिर पिंकसिटी जयपुर के चौड़ा रास्ता में स्थित है। 

 ताड़केश्वर मंदिर

धार्मिक नगरी जयपुर में अधिकांश निवासियों की जीवनचर्या मंदिर दर्शन से शुरू होती है। यहां मुख्य रुप से गोविंददेवजी मंदिर, ताड़केश्वर मंदिर, गोपीनाथ जी मंदिर, मोतीडूंंगरी मंदिर, चांदपोल हनुमान जी, रामचंद्र जी मंदिर, श्रीराम जानकी मंदिर ऐसे प्रमुख मंदिर हैं, जहां भक्त अपनी आस्था के मुताबिक पहुंचते है। वहां दर्शन करते है और​ फिर अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते है। 

ताड़केश्वर मंदिर में भी अल सुबह से ही भक्तों का आना शुरू हो जाता है जो देर रात तक चलता रहता है। दिनभर यहां बम-बम, जय भोले, हर-हर महादेव गूंजता रहता है। सोमवार, प्रदोष, श्रावण मास तथा महाशिवरात्रि को यहां भक्तों लंबी कतार लग जाती है। 

ऐतिहासिक है यह मंदिर 


शिवजी का यह मंदिर काफी प्राचीन है। इस मंदिर का निर्माण जयपुर की स्थापना के समय हुआ 1784ई. में हुआ था। जानकारी के अनुसार, राजप्रसाद यानि सिटी पैलेस के नजदीक उस वक्त यहां धुंधरमीनाज गांव हुआ करता था और यहां ताड़ के पेड़ काफी संख्या में थे। इसलिए यहां मंदिर का नामकरण ताड़ के पेड़ों के नाम पर ताड़केश्वर हो गया। 

कहा जाता है कि यहां एक गाय नियमित रुप से आती थी और एक खास स्थान पर आकर खड़ी हो जाती थी। वहां उसके थनों से स्वत: दूध निकलता था। उस स्थान पर खुदाई की तो शिवलिंग मिला। यह वहीं स्थान है जहां गाय दूध से अभिषेक करती थी।  

विशाल नंदी है खास



मुख्य​ शिवलिंग काले पत्थर का बना है। इसका व्यास 9 इंच है। मुख्य मंदिर के पास ही जगमोहन है। इस विशाल हॉल में चार विशाल घंटे हैं, जिनमें प्रत्येक का वजन 125 किलोग्राम है। दीवारों पर शानदार चित्रकारी है, हालांकि देखभाल के अभाव में यह फीकी पड़ती जा रही है। यहां शनिदेव का भी मंदिर है। इस जगमोहन के सामने पीतल का विशाल नंदी बैल भी आकर्षण का केंद्र है। 
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