इस एकादशी को जानिए क्यों कहते है मोहिनी एकादशी

वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। 


मान्यता है कि यह व्रत करने से व्यक्ति मोह, माया और पापों से मु​क्त हो जाता है। कहा जाता है कि मोहिनी एकादशी व्रत (Mohini Ekadashi Vrat) का  पालन भगवान राम और महाभारत काल में युधिष्ठिर ने किया था। मोहिनी एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को दशमी की रात से ही नियमों का पालन करना चाहिए। इस दिन तिल मिले जल से स्नान करने का महत्व है। स्नान के बाद लाल वस्त्रों से सजे कलश की स्थापना कर पूजा की जाती है इसके बाद भगवान विष्णु तथा श्रीराम का  धूप, दीप फल, फूलों आदि से पूजन किया जाता है। पूजन के बाद प्रसाद वितरण कर ब्राह्मण को भोजन तथा दक्षिणा देने का विधान है। रात के समय भगवान का भजन तथा कथा का पाठ करना चाहिए।

भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धरा था

समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश निकला। इस अमरत्व को हासिल करने के लिए देवताओं और असुरों में आपाधापी मच गई। असुर देवताओं पर भारी पड़ने लगे। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया और असुरों को अपने मोहपाश में बांध लिया। सारे अमृत का पान देवताओं को करवा दिया जिससे देवताओं ने अमरत्व प्राप्त किया। वैशाख शुक्ल एकादशी के दिन चूंकि यह सारा घटनाक्रम हुआ इस कारण इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा गया।

मोहिनी एकादशी व्रत कथा 

किसी समय में भद्रावती नामक नगर हुआ करता था। धृतिमान यहां के राजा थे। राजा भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। इसी नगर में धनपाल नाम का एक वैश्य भी रहता था। धनपाल भी भगवान विष्णु के परम भक्त थे। धनपाल के पांच संतान थी। चार पुत्र पिता के सामन नेक और भगवान भक्त थे, लेकिन सबसे छोटा पुत्र धृष्ट था। इस कारण उसका नाम धृष्टबुद्धि पड़ गया। 

एक दिन तंग आकर पिता ने उसे बेदखल कर दिया। भाइयों ने भी पापी भाई से नाता तोड़ लिया। धृष्टबुद्धि दर—दर की ठोकरें खने लगा, लेकिन पूर्व जन्म में उसने कभी कोई अच्छा काम किया था, जिसके प्रभाव से वह भटकते-भटकते कौण्डिल्य ऋषि के आश्रम में पंहुच गया।

यहां वह महर्षि के चरणों में गिर पड़ा और उसने सारी बात बता दी। ऋषि मुनि ने शरणागत हुए धृष्टबुद्धि को मोक्ष का उपाय बताया। उन्होंने कहा कि वैशाख शुक्ल की एकादशी बहुत ही पुण्य फलदायी होती है। इसका उपवास करो तुम्हें मुक्ति मिल जाएगी। धृष्टबुद्धि ने महर्षि की बताई विधिनुसार वैशाख शुक्ल एकादशी यानि मोहिनी एकादशी का उपवास किया। इसके बाद उसे पापकर्मों से छुटकारा मिला और मोक्ष की प्राप्ति हुई।

मोहिनी एकादशी 26 अप्रैल 2018 को है।

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