शनि की साढ़ेसाती में करें ये छोटे-छोटे उपाय, मिलेगा फायदा

शनि की साढ़ेसाती क्या है, शनि की साढ़ेसाती का जीवन पर क्या असर पड़ता है और शनि की साढ़े क्या लाभदायक भी होती है, जैसे सवाल अक्सर जहन में उठते रहते हैं। 



ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि नवग्रहों में से एक प्रमुख ग्रह है। उन्हें देवता का दर्जा प्राप्त है। शनि को क्रूर ग्रह और न्याय का प्रतीक माना जाता है। कुंडली में शनि की स्थिति जीवन को बहुत प्रभावित करती है। नीच का शनि अक्सर परेशानी पैदा करता है जबकि शनि उच्च हो तो व्यक्ति को अपार सफलताएं मिलती है। 

यूं समझे शनि की साढ़ेसाती को


अक्सर शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैया का उल्लेख कई बार होता है। आइए, बताते है कि शनि की साढ़ेसाती क्या होती है? ज्योतिष मान्यता के अनुसार, नवग्रह होते हैं और ये सभी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते है। इसे उस ग्रह की  ग्रह दशा कहते है। 

शनि की साढ़े साती भी व्यक्ति के जीवन में साढ़े सात वर्ष चलने वाली एक प्रकार की ग्रह दशा होती है। जब शनि ग्रह जातक की लग्न राशि से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है और उस विशेष राशि तथा उससे अगली दो राशि में गुजरते हुए अपना समय चक्र पूरा करते है। शनि की गति मंथर होती है और वे एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक भ्रमण करते है। इस प्रकार एक वर्तमान तथा एक पिछले और एक अगले ग्रह पर प्रभाव डालते हुए भ्रमण करते है। प्रत्येेक में ढाई साल के हिसाब से कुछ साढ़े सात साल का काल होता है। यह स्थिति साढ़ेसाती कहलाती है। 

साढ़े साती कब लगती है 

एक प्राचीन मान्यता के अनुसार जिस दिन शनि किसी विशेष राशि में होता है उस दिन से शनि की साढ़े साती शुरू होती है। जबकि कुछ मानते है कि शनि जन्म राशि के बाद जिस भी राशि में प्रवेश करते है, साढ़े साती की दशा लग जाती है। जब शनि जन्म से दूसरे स्थान को पार कर जाते है तब शनि की दशा से मुक्ति मिलती है। 

साढ़े साती का असर 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अलग-अलग राशियों के व्यक्तियों में इसका प्रभाव भी अलग-अलग होता है। ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार, शनि की साढ़े साती शुरू होने पर संकेत मिलना शुरू हो जाते हैं। जैसे आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव, व्यवसाय में मंदी, जीवन में कष्ट, चोरी का भय, चोट लगना आदि इसके लक्षण बताए जाते है।  

साढ़े साती में शनि देव को प्रसन्न करने के उपाय 

ज्योतिषी शनि देव को प्रसन्न रखने के कई उपाय सुझाते हैं। इनमें से कुछ उपाय इस प्रकार हैं—

  • शिव जी की पूजा करनी चाहिए और जल चढ़ाना चाहिए। 
  • पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना चाहिए। मंगलवार और शनिवार को तेल का दीपक जलाना चाहिए। 
  • तेल, उडद की दाल, उड़द की दाल से बने व्यंजन, तिल, कंबल, कील, काले मूंग, चमड़ा, आदि दान करना चाहिए। 
  • शनिवार को शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। शनि चालीसा, शनि मंत्रों का जाप करना चाहिए।
  • हनुमान जी की आराधना से भी फायदा होता है। हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानष्टक आदि का पाठ करना चाहिए। 
  • मान्यता है कि नाव के तले में लगी कील और काले घोड़े का नाल के लोहे की अंगूठी बनाकर धारण करनी चाहिए। 


साढ़े साती शुभ भी होती है

आमतौर पर शनि की ढईया और साढ़े साती को प्रायः अशुभ एवं हानिकारक ही माना जाता है। ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार यह स्थिति सभी व्यक्तियों के लिए कष्टकारी नहीं होती हैं। कई बार ऐसी स्थिति होने पर व्यक्ति को अपेक्षा से अधिक लाभ, सम्मान व वैभव की प्राप्ति होती है। यह स्थिति कुंडली में चंद्रमा की स्थिति के कारण बनती है। 


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