इको ट्यूरिज्म साइट बन गया मालेश्वर


मालेश्वर महादेव मंदिर जयपुर के नजदीक सामोद में फेमस इको ट्यूरिज्म साइट है। बारिश में यहां झरने चलते है जिनका आनंद उठाने बड़ी संख्या में लोग पहुंचते है। 

 पिंकसिटी जयपुर के नजदीक कई फेसम शिव मंदिर है। इनमें से एक है मालेश्वर महादेव मंदिर। यह मंदिर पहाड़ों के बीच स्थित है और बहुत प्राचीन है। बारिश में यहां झरने चलते है। जयपुर के नजदीक गोठ, पिकनिक आदि के लिए बेहतर स्थान माना जा सकता है। 

जयपुर होकर मालेश्वर पहुंचने के दो रास्ते है। पहला रास्ता चौमू होकर तथा दूसरा जयपुर—दिल्ली नेशनल हाइवे से अजीतगढ़ से है। आमतौर पर जयपुर—बीकानेर मार्ग पर चौमू होकर ही लोग यहां जाते है। जयपुर से चौमू करीब 35 किमी है और यहां 10 किमी. आगे आता है सामोद। सामोद हवेल या सामोद के महल काफी फेमस है। समोद में जयपुर-अजीतगढ़ रोड़ पर स्थित है महार कलां गांव। इस गांव के बस स्टैण्ड से करीब से करीब एक किमी दूरी पर यह प्रसिद्ध मंदिर है। 

यहां अरावली की वादियों में स्थित मालेश्वर महादेव मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। प्रकृति की गोद में स्थित यह स्थान काफी रमणीक है। यहां पर एक कुंड और कहा जाता है कि इसका पानी कभी खत्म नहीं होता। आसपास प्राचीन खंडर है जो इस स्थान के प्राचीन होने का दावा करते है। 

सूर्य के अनुसार झुकता है शिवलिंग  


महार कलां स्थित मालेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग देश भर में अनूठा है। दावा किया जाता है कि यह शिवलिंग हर छह माह में सूर्य की दिशा के अनुसार झुकता है। सूर्यदेव वर्ष में छह माह में उत्तरायण और छह महीने दक्षिणायन होते हे। 

उसी तरह यह शिवलिंग भी सूर्य की दिशा में झुक जाता है। बताया जाता है कि वर्तमान में महार कलां गांव पौराणिक काल में महाबली राजा सहस्रबाहु की माहिषमति नगरी हुआ करती थी। इसी करण इस मंदिर का नाम मालेश्वर महादेव मंदिर पड़ा। विक्रम संवत 1101 काल के इस मंदिर में स्वयंभूलिंग विराजमान है। 

मुगल काल में इस मंदिर को भी नुकसान पहुंचाया गया था। उस समय यहां तोड़ी गई शेष शैया पर लक्ष्मी जी के साथ विराजमान भगवान विष्णु की खण्डित मूर्ति आज भी मौजूद है। कालांतर मेंं मंदिर का जीर्णोद्धार कर इस पर गुंबद व शिखर का निर्माण करवाया गया।


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