वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में मंगला आरती केवल जन्माष्टमी पर ही होती है

 


वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में मंगला आरती केवल जन्माष्टमी पर ही होती है

बांके बिहारी मंदिर मथुरा जिले के वृन्दावन धाम के बिहारीपुरा में है। बांके बिहारी भगवान कृष्ण का एक रूप है। रोजाना बड़ी संख्या में भक्त बांकेबिहारी जी के दर्शन करने पहुंचते है। 


श्रीबांकेबिहारी जी के दर्शन और खास बातें  

- श्रीबांकेबिहारी जी मन्दिर में केवल शरद पूर्णिमा के दिन ही श्री बांकेबिहारी जी वंशी धारण करते हैं।

-  श्रावण तीज को ही ठाकुरजी झूले पर बैठते हैं

-  केवल जन्माष्टमी के दिन ही मंगला-आरती की जाती है, जिनके दर्शन केवल भाग्यशाली व्यक्ति को ही प्राप्त होते हैं,

- चरण दर्शन केवल अक्षय तृतीया के दिन ही होते हैं, जो इन चरण कमलों के दर्शन कर लेता है उसका बेड़ा पार हो जाता है।

बांकेबिहारीजी से जुड़ी कहानी

मान्यता है कि एक बार बांकेबिहारीजी मंदिर के पुजारी ने जब मंदिर के कपाट खोले तो उन्हें श्रीबांकेबिहारीजी के पालने में चूड़ा और वंशी नहीं मिले। लेकिन मंदिर का द्वार बंद था। पुजारी आश्चर्यचकित होकर निधिवन में स्वामीजी के पास आये और स्वामीजी को सारी बात बतायी। 

वहीं निधिवन के स्वामी जी ने कहा कि सुबह मेरे बिस्तर पर कोई सो रहा था. जाते समय वह कुछ न कुछ छोड़ गया। तभी पुजारी ने प्रत्यक्ष देखा कि श्रीबांकेबिहारी जी की चूड़ा-वंशी शय्या पर विराजमान है। इससे पता लगता है कि श्रीबांकेबिहारी जी रात्रि में रास रचाने के लिये निधिवन में जाते हैं। इसी कारण से प्रातःकाल श्रीबिहारीजी की मंगला-आरती नहीं की जाती।



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