गंगा माता और राधा गोपाल जी का प्राचीन मंदिर जयपुर में है। यह मंदिर प्रसिद्ध गोविंद देव जी मंदिर प्रांगण में स्थित है। इस मंदिर में स्थापित मूर्तियों ने विदेश यात्रा की है।
दरअसल, इंगलैंड में एडवर्ड सप्तम की ताजपोशी थी। इसके लिए उस वक्त की रियासतों के राजा-महाराजाओं को बुलाया गया था। जयपुर के महाराजा सवाई माधोसिंह को भी इंग्लैंड बुलाया गया। महाराजा माधोसिंह जब इंग्लैंड गए तो वे अपने साथ राधा गोपाल जी को भी लेकर गए। राधा गोपाल जी उनके इष्टदेव थे।
माधोसिंह ने इंग्लैंड यात्रा के लिए नवनिर्मित ओलंपिया जहाज किराए पर लिया। यात्रा से पहले इस जहाज को गंगाजल से धोकर पवित्र करवाया। इस जहाज में एक मंदिर बनवाया, जहां राधा गोपालजी की मूर्ति रखी गई। इस यात्रा के दौरान वे गंगाजल भी साथ लेकर गए। गंगाजल चांदी के दो बड़े कलशों में लेकर गए। चांदी के ये कलश आज भी जयपुर के सिटी पैलेस में रखे हुए है।
गंगा के भक्त थे महाराजा माधोसिंह
महाराजा सवाई माधोसिंह गंगा के अनन्य भक्त थे। वे प्रात:काल उठते ही सबसे पहले गंगाजल का उपयोग करते थे। इसके बाद इष्ष्टदेव राधा गोपाल जी के दर्शन करते थें। इंग्लैंड यात्रा से लौटने के बाद उन्होंने जयनिवास बाग में वर्ष 1914 में गंगा माता का मंदिर बनवाया। यह उन्होंने अपनी निजी आमदनी से बनवाया और इस पर 35 हजार 444 रुपए खर्च हुए थे।
चार साल बाद गंगा माता के मंदिर के ठीक सामने राधा गोपालजी का मंदिर बनवाया और वहां वहीं मूर्तियां स्थापित की, जिन्हें लेकर वे इंग्लैंड गए थे। सिटी पैलेस से इन मंदिरों तक आने-जाने का अलग से रास्ता भी बना हुआ है। अब गोविन्द देवजी दर्शन के लिए आने वाले भक्त इन मंदिरों में शीश नवाने जरूर आते है।
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