होली रंगों का त्योहार है, लेकिन होली पर सत्ता में बदलाव और भविष्य को लेकर भी संकेत मिलता है।
Holika Dahan |
ऐसी मान्यता है कि होली पर हवा का रुख देखकर अगले साल के लिए भविष्यवाणी की जा सकती है। ऐसी कुछ मान्यताएं आज भी ग्रामीण इलाकों में है। यह हम नहीं कह रहे। गांवों में पुरानी पीढ़ी आज भी होली दहन के दौरान होली पर हवा का रुख और होली की लपट देखकर आने वाले वर्ष को लेकर भविष्यवाणी करती नजर आती है।
होली दहन भद्रा काल में नहीं होता। भद्रा काल समाप्त होने के बाद फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को होली दहन की परंपरा निभाई जाती है। हिंदू पंचांग में फाल्गुन मास वर्ष का अंतिम माह होता है। इसके बाद चैत्र से नव सवंतसर यानि हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इसलिए ज्योतिष के लिहाज से होलिका दहन का खास महत्व है।
अक्सर दादा-दादी से होली दहन के समय हवा का रुख और लपट को लेकर मौसम और सत्ता के भविष्य केा लेकर सुना था।
होली पर भविष्य का अंदाजा ऐसे लगाया जाता है
- होलिका दहन के समय पुरवाई चलना शुभ होता है। दहन के समय हवा पूर्व दिशा से चले, तो यह अच्छा शगुन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ऐसी स्थिति होने पर आने वाला साल खुशहाली भरा होता है।
- होली दहन के वक्त हवा का दक्षिण दिशा में चलना अशुभ माना जाता है। इससे बाढ़, अकाल जैसी स्थितियां बनने और फसल को नुकसान होने का अंदेशा जताया जाता है। सत्ता के लिए भी यह स्थिति भारी होती है।
- होलिका दहन के समय हवा उत्तर की ओर से चलना भी शुभ होता है। दरअसल, उत्तर को कुबेर की दिशा मानी जाती है। मान्यता है कि इससे राज्य में समृद्धि आती है।
- पश्चिम दिशा से होलिका दहन के समय हवा चलने लगे तो यह भी अच्छा शगुन नहीं माना जाता है। ऐसी स्थिति में खेती की हानी होती है।
- होलिका दहन के समय धुआं सीधा आकाश की ओर जाने लगे तो यह बदलाव का संकेत है। इसे शासक के वर्चस्व में कमी आने और सत्ता में बदलाव का संकेत माना जाता है।
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