Harshad Mata |
आज हम बताने जा रहे मां दुर्गा के एक अनोखे प्राचीन मंदिर के बारे में। इस मंदिर में नीलम से बनी छह फीट की माता दुर्गा की ऐतिहासिक दुर्लभ मूर्ति की पूजा होती थी। दुर्भाग्य से ये मूर्ति अब यहां नहीं है। इसकी जगह उसी साइज की संगमरमर से निर्मित मूर्ति स्थापित करनी पड़ी। जिसकी वर्तमान में पूजा अर्चना की जाती है।
दरअसल, यहां स्थापित नीलम की मूर्ति पर तस्करों की नजर पड़ी और उन्होंने इस बेशकीमती मूर्ति को चुरा लिया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत खरबों में आंकी जा सकती है। चोरी की यह घटना वर्ष 1968 के आसपास की है। दुर्भाग्य की बात है कि आज तक इस ऐतिहसिक मूर्ति का पता पुलिस नहीं लगा सकी।
बाद में ग्रामीणों ने यहां करीब छह फीट की दूसरी मूर्ति स्थापित करवाई। यह दास्तान हर्षद माता के मंदिर की। हर्षद माता का मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में आभानेरी में स्थित है। मंदिर के पास प्रसिद्ध चांद बावड़ी है।
सदियों पुराना है हर्षद माता का मंदिर
हर्षद माता के मंदिर का निर्माण आठवीं या नवीं शातब्दी में चौहान वंश के राजा चांद ने कराया था। राजा चांद उस वक्ता आभानेरी या आभा नगरी के शासक थे। मंदिर महामेरू शैली में निर्मित है। यह पूर्वाभिमुशी दोहरी जगती पर स्थित है और मंदिर में पंचरथ गर्भग्रह प्रदक्षिणापथ युक्त है। मंदिर की भव्यता यहां छत, गुंबद, दीवार और खंभों पर हिंदू देवी—देवताओं की मूर्तियों के कारण देखते ही बनती थीं।
आज खंडर बन चुका है यह ऐतिहासिक मंदिर
हर्षद माता का यह मंदिर आज खंडर स्थिति में है। वर्तमान ये अधिकांश प्रतिमाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी है। कहा जाता है कि अन्य मंदिरों की तरह यह मंदिर भी मोहम्मद गजनवी का निशाना बना। उसने इस मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था। इसके बाद 18वीं सदी में जयपुर महाराजा ने इसका जीर्णोद्धार करवाया।
वर्तमान में यह मंदिर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन है। इसे संरिक्षत घोषित किया गया है। सैकडों खंडित मूर्तियां यहां परिसर में बिखरी पड़ी है। जबकि बड़ी संख्या में मूर्तियां यहां से खुर्दबुर्द भी हो चुकी हैं।
नाम के अनुसार, इस मंदिर की मान्यता रही है। यानि ये खुशी देने वाली माता का मंदिर का मंदिर है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, सच्चे मन से जो व्यक्ति माता के दरबार में हाजिरी लगाता है, माता उसकी हर इच्छा पूरी करती है। इसलिए इसे हर सिद्ध माता भी कहते है।
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