हनुमान जयंती 26 अप्रैल 2021 को है। इस अवसर पर बजरंग बली की विशेष पूजा अर्चना होगी। हालांकि कोरोना महामारी की वजह से हनुमान जयंती को होने वाले सामूहिक आयोजन इस साल भी नहीं हो पाएंगे।
हनुमान जयंती का त्योहार चैत्र माह में पूर्णिमा को मनाया जाता है। पूर्णिमा 26 अप्रैल को दोपहर 12 बजे से शुरु होगी और 27 अप्रैल को सुबह 9 बजे तक रहेगी। मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ है। वैसे तो हनुमान जयंती को पर्व देश में धूमधाम से मनाया जाता है। हनुमान मंदिरों में विशेष झांकी सजाई जाती है और बालाजी महाराज की शोभायात्रा आयोजित होती है। मगर, कोरोना महामारी की वजह से पिछले साल की तरह इस बार भी आयोजन सीमित होंगे। मंदिरों में पूजा होगी लेकिन, भक्तों की उपस्थिति नहीं रहेगी। अधिकांश जगह लाॅकडाउन और कोरोना प्रोटोकोल की वजह से शोभायात्राएं भी आयोजित नहीं हो पाएंगी। ऐसे में भक्तों की अपने पूज्य श्री हनुमान जी की आराधना घर पर रहकर करनी होगी।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, हनुमान जी का जन्म करीब 58 हजार पहले तथा लोकमान्यता के अनुसार त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6ः03 बजे हुआ था। उन्हें भगवान शिव का 11 वां रुद्रावतार भी माना जाता है। रामायण में माता सीता ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था। चैत्र पूर्णिमा के अतिरिक्त कार्तिक अमावस्या यानि दिवाली से एक दिन पहले भी चतुर्दशी को हनुमान जयंती मनाई जाती है।
उनके जन्म स्थान को लेकर भी अलग-अलग मत है। एक मत के अनुसार हनुमान जी का जन्म हरियाणा के कैथल इलाके में जो पहले कपिस्थल के नाम से जाना जाता था, वहां हुआ है। दूसरे मत के अनुसार, उनका जन्म अंजनी पर्वत पर हुआ है। यह गुजरात ं डांग क्षेत्र में शबरी धाम से करीब सात किलोमीटर दूर है। एक अन्य मत के अनुसार उनका जन्मस्थान वर्तमान झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव की एक गुफा को माना जाता है।
हनुमान जी का नामकरण
हनुमानजी के अनेक नाम है
हनुमान
पवनपुत्र
केसरी नंदन
बजरंग बली
अंजनी नंदन
मारुती नंदन
संकटमोचन
महावीर
कपीश
शंकर सुवन
महाबल
रामेष्ट
फाल्गुण सखा
पिंगाक्ष
अमित विक्रम
उदधिक्रमण
सीता शोक विनायक
लक्ष्मण प्राण दाता
दशग्रीव दर्पहा
कैसे करें हनुमान जयंती पर बजरंग बली की पूजा
हनुमान जयंती पर शुभ मुहूर्त में हनुमान जी प्रतिमा या उनके चित्र की पूजा की जानी चाहिये। हनुमान जी के चोला चढ़ाना चाहिए। इसके बाद उन्हें मिष्ठान को भोग लगाकर आरती करनी चाहिये। हनुमान चालीसा, हनुमानष्टक, बरजंग बाण, सुंदरकांड, आदि का यथासंभव पाठ करना चाहिये। हनुमान जी के पान को जोड़ा और लौंग भी चढ़ानी चाहिये।
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