होली की पौराणिक कथा के अनुसार भद्रा काल में होलिका दहन को अशुभ माना जाता है। होलिका दहन का मुहूर्त इस बार रात 9 बजकर 03 मिनट से रात 10 बजे 13 मिनट तक रहेगा । पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दिन में 1 बजकर 29 बजे शुरू होगी और पूर्णिमा तिथि का समापन 18 मार्च दिन में 12 बजकर 46 मिनट पर होगा।
होली की पौराणिक कथा (Holi Story)
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर था। उसने घमंड में चूर होकर खुद के ईश्वर होने का दावा किया था। उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर भी पाबंदी लगा दी थी। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में भस्म न होने का वरदान मिला हुआ था।
एक बार हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए। आग में बैठने पर होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया। तब से यह होली का पर्व मनाया जाता है।
होली का डांडा रोपण 2022
होली से ठीक एक महीने पहले होली का डांडा रोपण होता है। माघ माह की पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त में विधि विधान से होली का डांडा रोपा जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार, 16 फरवरी 2022 को माघी पूर्णिमा है। होली (Holi) का डांडा रोपण के साथ ही इस त्यौहार की मस्ती (Masti) का आगाज हो जाता है। हालांकि वक्त के साथ कई परम्पराएं बदल रही हैं। होली जैसा महत्वपूर्ण पर्व पहले महीने भर तक मनाया जाता था। अब महज दो दिन का बनकर रह गया है।
0 comments:
Post a Comment