करवा चौथ: चांद के साथ पति के दीदार कर खोला जाता है व्रत

करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। यह उपवास सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत महत्व रखता है। सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह उपवास करती है। करवा चौथ का पर्व राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात समेत उत्तर भारत में मनाया जाता है।  

करवा चौथ पर दिन में महिलाएं चौथ माता की कहानी सुनती और रात में चंद्रमा को अर्क देकर व्रत खोलती है। महिलाएं इस मौके पर आसमान के चमकते चांद का दीदार कर अपने पति के हाथों से भोजन का पहला कौर यानि निवाला खाकर अपना उपवास खोलती हैं। 

करवा चौथ का व्रत सुबह सूर्योदय से पहले ही 4 बजे के बाद शुरु हो जाता है और रात को चंद्रदर्शन के बाद ही व्रत को खोला जाता है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। राजस्थान समेत कई जगह पर चौथ माता की कथा सुनी जाती है। 

चौथ का व्रत कब से किया जाता है


सामान्यत: विवाह के बाद 12 या 16 साल तक लगातार इस उपवास को किया जाता है, लेकिन इच्छानुसार जीवनभर भी विवाहिताएं इस व्रत को रख सकती हैं। इस दिन महिलाएं श्रृंगार करके पूजा करने जाती हैं और फिर आकर घर के बड़ों का आशीर्वाद लेती हैं। 

करवा चौथ का उद्यापन भी किया जाता है, जिसमें सुहागिन को भोजन पर बुलाया जाता है उन्हें वस्त्र और भेंट ​प्रदान की जाती है। इस दौरान करवा चौथ की कथा सुनी और सुनाई जाती है। चंद्रमा को अर्क देने के बाद व्रत खोला जाता है।  

करवा चौथ-2017 की तिथि 


करवा चौथ-2017 का व्रत आठ अक्टूबर, रविवार को है। चतुर्थी तिथि का आरंभ 8 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 58 मिनट को होगा और चतुर्थी तिथि की समाप्ति 9 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 16 मिनट को होगी।


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