विवाह पंचमी की इन मान्यताओं के बारे में जानकार रह जाएंगे हैरान

विवाह पंचमी मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। विवाह पंचमी के दिन भगवान श्रीराम और सीता का विवाह हुआ था। 

श्रीराम जानकी मंदिर, जयपुर राजस्थान
वर्ष 2017 में विवाह पंचमी 23 नवंबर को है। मान्यता के अनुसार अगहन मास यानि मार्गशीर्ष की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन राम और सीता का विवाह हुआ था। तभी से इस दिन विवाह पंचमी मनाने की परम्परा शुरू हुई है। 

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अध्योध्या के राजा दशरथ के पुत्र राम अपने भाई भरत, लक्ष्मण, नुकुल और सहदेव के साथ जनक नंदनी सीता के स्वयंवर में मिथिला गए। उन्हें वहां गुरु विश्वामित्र लेकर गए थे। रामचरित मानस के अनुसार, स्वयंवर में सभी राजा शिव के धनुष पिनाक को तोड़ने में सफल  नहीं हुए। तब गुरु की आज्ञा से राम ने उस धनुष तोड़ दिया। इसके बाद सीता के साथ राम का विवाह संपन्न हुआ। उस दिन मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी थी।  

विवाह पंचमी पर निभाई जाती है ये परम्परा 


देश में आज भी राम मंदिरों में विवाह पंचमी के मौके पर भगवान राम और सीता के विवाह की परम्परा निभाई जाती है। दिन में राम की बारात निकाली जाती है और रात में सीता के साथ उनका विधि विधान से विवाह कराया जाता है। इतना ही नहीं अगले दिन कलेवा और अन्य परम्पराएं भी निभाई जाती है। इसके साथ ही कई धार्मिक कार्यक्रम भी इस दिन आयोजित होते है। 

वे परम्पराएं जिन्हें जानकर चौंक जाएंगे


विवाह पंचमी पर मिथिला समेत कई जगह ​विवाह नहीं होते। इस मान्यता के पीछे एक ही कारण है। दरअसल, राम और सीता का विवाह होने के बाद राम को 14 साल वनवास हुआ। इस दौरान सीता का अपहरण हुआ और रावण के साथ युद्ध करना पड़ा। यानि विवाह के बाद सीता और राम को कई कष्ट सहन करने पड़े। इसके चलते कुछ जगह विवाह पंचमी पर विवाह करना शुभ नहीं माना जाता।

इस दिन कई जगहों पर रामचरित मानस का पाठ भी करवाया जाता है, लेकिन पाठ राम-जानकी विवाह प्रसंग तक होता है। इसके आगे राम और सीताजी को कष्टों का सामना करना पड़ा था, इसीलिए राम-जानकी विवाह जैसे शुभ प्रसंग के साथ ही पाठ का समापन कर देना चाहिए। 

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