इस पौराणिक कथा में छिपी है रावण वध की असली वजह

सीता हरण के कारण रावण का वध हुआ है। यह बात हम सभी जानते है, लेकिन इससे पहले भी एक घटना घटित हुई थी। इस घटना के रावण वध की असली वजह होने के दावे किए जाते हैं। 


यह घटना सीताजी के पूर्व जन्म की है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, पूर्व जन्म में सीताजी का नाम वेदवती था और वह एक ऋषि कन्या थी। एक दिन रावण हिमालय में भ्रमण कर रहा था। इस दौरान रावण की नजर ऋषि कन्या पर पड़ी और वह उस पर मंत्रमुग्ध हो गया। 

रावण कन्या के पास पहुंचा और उसके बारे में जानकारी हासिल की। उसके अविवाहित रहने का कारण पूछा। वेदवती ने बताया कि उसके पिता उसका विवाह विष्णु जी से करना चाहते है, लेकिन एक राक्षस मुझे चाहता है। पिता ने राक्षस की बात नहीं मानी तो उसने पिता का वध कर दिया। अपने पति के निधन के बाद दुख में माता ने भी प्राण त्याग दिए। अब वो इस दुनिया में अकेली है तथा अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही है। 

इस पर रावण ने वेदवती को अपना बनाने का प्रयास किया, लेकिन वो राजी नहीं हुई। क्रोध में आकर रावण ने वेदवती के केश पकड़ लिए। वेदवती ने रावण के हाथ में पकड़े केशों को काट दिया और उसके भागकर अग्निकुंड में कूद गई। 

वेदवती ने जान देने से पहले रावण को श्राप दिया कि तूमने मेरा अपमान किया है। इसका बदला लेने के लिए वो बालिका के रूप में जन्म लेगी और रावण वध का कारण बनेगी। 

जानकी नवमी को सीता का प्रकट्य दिवस मनाया जाता है


अगले जन्म में वह कन्या कमल के रुप में उत्पन्न हुई। इस कमल को समुद्र में फैक दिया। यह कमल जल मार्ग से होता हुआ राजा जनक की मिथिला नगरी तक पहुंचा। राजा जब यज्ञ मंडप के लिए भूमि तैयार कर रहे थे तो हल की नोक से कन्या रूप में उपर आ गया। यह कन्या जानकी और विवाह उपरान्त सीता के नाम से जानी गई। ​जानकी जी का प्रकट जिस दिन हुआ था, उस दिन नवमी थी। इसलिए जानकी नवमी को माता सीता का प्रकट्य दिवस मनाया जाता है।  

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