यहां आयोजित होता है आदिवासियों का महाकुंभ

राजस्थान के ऐतिहासिक डूंगरपुर जिले से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित है बेणेश्वर धाम। यह पवित्र स्थान सोम और माही नदी के पवित्र संगम पर स्थित है। 


राजस्थान के ऐतिहासिक डूंगरपुर जिले से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित है बेणेश्वर धाम। यह पवित्र स्थान सोम और माही नदी के पवित्र संगम पर स्थित है। यहां भगवान शिव और विष्णु तथा अन्य देवी-देवताओं के भव्य एवं प्राचीन मंदिर स्थित है।

2019 में बेणेश्वर मेला 


मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु के अवतार मावजी ने तपस्या की थी। मावजी आदिवासियों में बहुत पूजे जाते है। मावजी को मानने वालों के लिए बेणेश्वर धाम प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहीं वजह है कि वे अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन करने से लेकर बच्चों मुंडन, जडूला, जात आदि संस्कार इस पवित्र संगम पर आकर करते है। 

माघ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक इस संगम पर विशाल मेला आयोजित होता है। ऐसा माना जाता है कि माघ पूर्णिमा के दिन इस संगम पर स्नान करने से कई गुणा पुण्य मिलता है। इस वजह से पूर्णिमा के दिन यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते है और पवित्र नदियों के संगम में स्नान करते है।

पर्यटक भी आते हैं इस मेले में

धार्मिक महत्व के साथ इस मेले का पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत महत्व है। य​हां आदिवासियों की संस्कृति को देखने के लिए देश-विदेश से सैलानी भी आते है। 

चार दिनों तक चलने वाला यह मेला मुख्यत: इस क्षेत्र की आदिवासी भील जाति का मुख्य त्योहार है। ये अपनी पारंपरिक पोशाकों में नाचते-गाते इस पर्व शामिल होते है। इसमें राजस्थान के साथ-साथ गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश से लाखों आदिवासी शामिल होते है। इस कारण इसे आदिवासियों का महाकुंभ भी कहते है। 

सैलानी मेले के दौरान तरह-तरह के मनोरंजन के साधनों से रूबरू होते है। शाम का लोक कलाकार अपनी संगीत और नृत्य कला का प्रदर्शन करते है। हाट बाजार में आदिवासी परिवारों द्वारा तैयार की गई सामग्री खूब बिकती है। मेले का आनंद उठाने के दौरान यहां आने वाले पर्यटक डूंगरपुर के ऐतिहासिक किलों एवं मंदिरों को देखना नहीं भूलते।


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