भगवान को भी लगती है सर्दी, बचाने के लिए किए जा रहे हैं ये जतन

राजस्थान के प्रमुख मंदिर श्रीनाथ जी, सांवलिया सेठ, राणी सती मंदिर, खाटू श्याम जी, जीण माता, गोविंद देवजी, राधा दामोदर जी, लक्ष्मीनारायण बाईजी, आनंद बिहारी जी, प्रतापेश्वरजी, रामजानकी मंदिर आदि में ठाकुरजी का पहनावा और दिनचर्या बदल गई है।

भगवान को भी सर्दी लगती है। इस मान्यता के चलते सभी प्रमुख मंदिरों में भगवान को सर्दी से बचाने के लिए कई तरह के जतन किए जाते है। उनका पहनावा, दिनचर्या और भोग बदल जाता  है।

भगवान को गर्म कपड़े पहनाएं जाते है और भोग में गर्म तासीर  के पदार्थ शामिल किए जाते हैं। दर्शन का समय भी अधिकांश मंदिरों में सर्दी की दस्तक के साथ बदल जाता है। राजस्थान के प्रमुख मंदिर श्रीनाथ जी, सांवलिया सेठ, राणी सती मंदिर, खाटू श्याम जी, जीण माता, गोविंद देवजी, राधा दामोदर जी, लक्ष्मीनारायण बाईजी, आनंद बिहारी जी, प्रतापेश्वरजी, रामजानकी मंदिर आदि में ठाकुरजी का पहनावा और दिनचर्या बदल गई है।

ठाकुरजी की दिनचर्या में बदलाव



  • सूती और हल्के वस्त्रों की जगह गहरे रंग की गर्म पोशाक पहनाने के साथ ही कंबल, रजाई ओढ़ाई जा रही है।



  • सर्दी से ठाकुरजी को बचाने के लिए गर्भगृह में हीटर अंगीठी भी जलाई जा रही हैं। भोग में गर्म दूध के साथ गोंद के लड्डू परोसे जा रहे हैं।



  • सर्दी से बचाव के उपाय दिवाली के बाद शुरू हो जाते है और बसंत पंचमी तक चलते है। 



  • मुख्य तौर पर घी, दूध के साथ ही सोंठ, गोंद मेवा आदि से बने गर्म खाद्य वस्तुओं का भोग लगाया जा रहा है। 



  • सभी मंदिरों में आरती का समय बदल  गया है। मंगला आरती देर से और शयन आरती जल्दी होने लगी है। 
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