आमतौर पर विवाह का पहला निमंत्रण पत्र प्रथम पूज्य गणेश जी के मंदिर में चढ़ता है। राजस्थान में एक मंदिर ऐसा भी है जहां अंजनी माता के मंदिर में विवाह का पहला निमंत्रण पत्र चढ़ाने की परंपरा है।
मान्यता है कि अंजनी माता और हनुमान जी के इस मंदिर में पहला निमंत्रण पत्र चढ़ाने से विवाह बिना किसी बाधा के संपन्न होता है और वैवाहिक जीवन सुखद बीतता है। इस मान्यता के चलते यहां विवाह के बाद भी महिलाएं अपना सुहाग चिन्ह और नारीयल चढ़ाकर परिवार में सुख समृद्धि की कामना करती है।
अंजनी माता का यह प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान में चूरू जिले के सालासर में है। सालासर बालाजी से अंजना माता के इस मंदिर की दूरी करीब दो किमी है। यह मंदिर यहां लक्ष्मणगढ़ रोड पर स्थित है। इस मंदिर में अंजनी माता की चतुभुर्ज आदमकद मूर्ति है। माता ने अपने हाथ में कलश ?, शंख आदि धारण कर रखे है। उनकी गोद में हनुमान जी बैठे हैं। कहते है कि जो सालासर आकर इन दोनों की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है। उसकी प्रत्येक मनोकामना पूरी होती है।
जानकारी के अनुसार, मन्दिर के संस्थापक पन्नारामजी पारीक थे। युवावस्था में इनकी पत्नी का निधन हो गया। इसके बाद वे प्रयाग चले गए और वहां गंगा तट पर ध्यान करने लगे। प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उनको स्वप्न में दर्शन दिए और सालासर आने की आज्ञा दी। वे यहां आए और परोपकारी भावना से प्रेरित होकर पथिकों को शीतल जल पिलाकर उनकी थकान को मिटाने लगे। बाद में सीकर के राजा ने पंडित जी के कहे अनुसार मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया।
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