सालासर में बालाजी जी के दाढ़ी-मूंछ क्यों है, जानिए

हनुमान जी के कई रूप देखने को मिलते है। कहीं उनके बाल रूप की पूजा होती है तो कहीं भगवान राम के सेवक के रूप में। एक मंदिर ऐसा भी है जहां हनुमानजी के दाढ़ी-मूंछ वाले रूप की पूजा होती है। 


यह मंदिर राजस्थान में चूरू जिले के सालासर में स्थित है। यहां पर सच्चे मन से मांगी गई बालाजी पूरी करते है, इस मान्यता के चलते यहां लाखों लोग हर साल दर्शन के लिए आते है। इस मंदिर की स्थापना से जुड़े इतिहास के अनुसार, बालाजी के अन्यय भक्त बाबा मोहन दास एक बार बाबा का श्रंगार कर रहे थे। इस दौरान वे इतने तल्लीन हो गए कि उन्होंने घी और सिंदूर से मूर्ति को श्रंगारित कर दिया।

श्रंगार से पहले बालाजी यहां श्रीराम और लक्ष्मण को कांधे पर धारण किए हुए थे। मोहनदास की पूजा का ऐसा चमत्कार हुआ कि मूर्ति का यह रूप अदृश्य हो गया। उसके स्थान पर दाढ़ी-मूंछ, मस्तक पर तिलक, विकट भौंहें, सुंदर आंखें, पर्वत पर गदा धारण किए अदभुत रूप में बालाजी के दर्शन होने लगे। यहां पर इसी स्वरूप में बालाजी की पूजा होती है। देश में संभवत: यह इस तरह के स्वरूप वाला हनुमान जी का इकलौता मंदिर है। 

हर साल सालासर में दो बार मेले चैत्र शुक्ल चतुर्दशी और पूर्णिमा और आश्विन शुक्ल पक्ष चतुर्दशी और पूर्णिमा को आयोजित होते है। इन मेलों में लाखों लोग पहुंचते है। इसके साथ ही भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्दशी और पूर्णिमा को भी यहां विशेष आयोजन होते है। 

दिल्ली से सालासर की दूरी


सालासर, राजस्थान में चूरू में जयपुर- बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है। सालासर सीकर से 57 किलोमीटर, सुजानगढ़ से 24 किलोमीटर और लक्ष्मणगढ़ से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जबकि  पिलानी शहर से लगभग 140 किलोमीटर की दूरी पर है। दिल्ली से सालासर की दूरी करीब 300 किमी से अधिक है। 


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