श्याम सलौने का खाटू से यह है कनेक्शन

श्याम बाबा को खाटू नरेश क्यों कहते है? खाटू में श्याम बाबा का मंदिर क्यों बनाया गया है? खाटू बाबा का जन्म दिन कब है? ये ऐसे सवाल है जो बाबा का हर भक्त जानना चाहता है। 



महाभारत युद्ध से पहले भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक का शीश दान में मांग लिया था। इसके बाद उन्होंने ही उन्हें श्याम नाम दिया। कहा जाता है कि राजस्थान की सीकर जिले में जिस स्थान पर श्याम बाबा का मंदिर है वहां यह शीश प्रकट हुआ था। महाभारत युद्ध के बाद उनका शीश खाटू नगर में दफनाया गया था। 

महाभारत युद्ध के सैकड़ों साल बीतने के बाद खाटू नगर में एक घटना हुई। एक गाय रोज इस स्थान पर आकर खड़ी हो जाती। उसके थन से अपने आप दूध की धारा बहने लगती। इसे देखकर वहां खुदाई की गई तो यह शीश प्रकट हुआ, जिसे कुछ दिनों के लिए एक ब्राह्मण को सौंप दिया। जिस दिन यह शीश प्रकट हुआ उस दिन फाल्गुन शुक्ल द्वादशी थी। इसलिये यहां मेला आयोजित होता है।

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एक बार खाटू नगर के राजा को स्वप्न में मन्दिर निर्माण के लिए और वह शीश मन्दिर में सुशोभित करने के आदेश हुये। उस स्थान पर मन्दिर का निर्माण किया गया और कार्तिक माह की एकादशी को शीश मन्दिर में स्थापित किया गया, जिसे बाबा श्याम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। 

जानकारी के अनुसार, मूल मंदिर 1027 ई. में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर ने बनाया था।  मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने ठाकुर के निर्देश पर 1720 ई. में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। मंदिर इस समय अपने वर्तमान आकार ले लिया और मूर्ति गर्भगृह में प्रतिस्थापित किया गया था। यह मूर्ति दुर्लभ पत्थर से बनी है। 


श्याम बाबा का असली नाम और परिचय



पाण्डव कुलभूषण मोरवीनंदन खाटूश्याम 
दादा का नाम : महाबली भीमसेन 
दादी का नाम : हिडिंबा 
पिता का नाम : महाबली घटोत्कच 
माता का नाम : कामकटंककटा (मोरवी) 
अस्त्र  : तीन अमोघ बाण, धनुष 
वाहन  : नीला घोड़ा 
एक बार की बात है बर्बरीक ने पृथ्वी और पाताल के बीच रास्ते में नाग कन्याओं का वरण प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया कि उन्होंने आजीवन ब्रह्मचारी रहने का प्रण लिया है।

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