Lok Sabha Election : चार सीटोंं पर टेंशन में भाजपा

 मोदी मौजिक और राम मंदिर मुद्दे पर हावी हुई लोकल पॉलिटिक्स 


योगेश सैन

जयपुर। लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर जीत की हैट्रिक का सपना देख रही भाजपा के लिए चार सीटें टेंशन की वजह बनी हुई है। इन सीटों पर मोदी मैजिक और राम मंदिर के मुद्दे पर हावी स्थानीय 'राजनीति' भाजपा को चुनौती दे रही है। 


राजस्थान में चुरू, जोधपुर, बाड़मेर और डूंगरपुर—बांसवाड़ा में भाजपा 'खेला' से आशंकित है। मतदाताओं के मूड को लेकर अनिश्चय की स्थिति बनी हुई है और जिस तरह के बाते इन क्षेत्रों से सामने आ रही हैं वे भाजपा के लिए बहुत ज्यादा सुखद नहीं है। चुरू में भाजपा भितरघात से आशंकित है। भाजपा ने यहां से अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देवेंद्र झां​झड़िया को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी एवं सांसद राहुल कस्वां से है। राहुल कस्वां ने पिछले लोकसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर जीते थे और इस बार टिकट कटने पर उन्होंने भाजपा का दामन
छोड़कर कांग्रेस जॉइन की है। कांग्रेस ने उन्हें यहां से टिकट दिया है। भाजपा ने टिकट काटने की वजह विधानसभा चुनाव के दौरान राजेंद्र राठौड़ की चौंकाने वाली हार है। राठौड़ ने हार के लिए 'जयचंदों' का जिम्मेदार ठहराया। उनका इशारा राहुल कस्वां की ओर था। दोनों के बीच चल रही इस अदावत के चलते कस्वां का टिकट काटा गया। कस्वां इस पूरी ताकत के साथ मैदान में हैं। उन्हें अपने भाजपा में पुराने साथियों के साथ मतदाताओं की सहानुभूति पर भरोसा है। वहीं, भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र झांझड़िया का नाम तो हैं लेकिन राजनीति में वे नए खिलाड़ी है। शायद यहीं वजह है कि हाल में उनके समर्थन में आयोजित जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें टिकट देने की सफाई देकर इमोशनल कार्ड खेला। 

जोधपुर: एंटी इन्कंबेंसी से डरी भाजपा 

भाजपा ने इस बार लोकसभा चुनाव में करीब 33 फीसदी सांसदों के टिकट काटे है। इसकी वजह एंटी इन्कंबेंसी रोकना है। हालांकि जोधपुर में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर पार्टी ने भरोसा जताते हुए फिर से टिकट दिया है। उनका मुकाबला कांग्रेस करण सिंह उचियारणा से है। कांग्रेस ने शेखावत को घेरने के लिए राजपूत प्रत्याशी मैदान में उतारा है। वहीं, अब प्रचार में शेखावत के उन वादों को पार्टी जनता के बीच रख रही हैं जो उन्होंने जनता से किए लेकिन आज तक पूरे नहीं हुए। ऐसे में शेखावत के पक्ष में जो माहौल था वह बिगड़ता नजर आ रहा है। भाजपा शीर्ष नेतृत्व भी यहां  एंटी इन्कंबेंसी से होने वाले नुकसान से आशंकित नजर आ रहा है। करण सिंह उचियारणा के चुनाव लड़ने इस सीट पर सियासी समीकरण बिगड़ा हुआ नजर आ रहा हैं। कांग्रेस पार्टी ने शेखावत को घेरने के लिए कोई मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहती है। जोधपुर लोकसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला भी है। ऐसे में यहां शेखावत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। 

बाड़मेर में युवा भाटी दे रहें चुनौती

बाड़मेर में युवा नेता रविंद्र भाटी का तोड़ भाजपा को फिलहाल नजर नहीं आ रहा है। नामांकन रैली और उसके बाद चुनाव प्रचार रैलियों में भाटी के नजर आ रही युवाओं की भीड़ ने भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है। भाटी ने अपना प्रचार का दायरा गुजरात में रह रहे राजस्थानियों तक बढ़ा दिया। छात्रसंघ का निर्दलीय चुनाव जीत कर इतिहास रचने वाले भाटी विधानसभा चुनाव में शिव से भाजपा का टिकट मांग रहे थे और उन्हें आश्वासन भी दिया लेकिन बाद में उनका टिकट काट दिया। उन्होंने यहां निर्दलीय जीत हासिल की और फिर लोकसभा चुनाव में भी उन्हें टिकट देने खबरें सामने आई। 
सुलह के लिए उनकी जयपुर में मुख्यमंत्री के साथ भी बैठक हुई लेकिन, नतीजा नहीं निकला। वहीं, कांग्रेस ने यहां से उम्मेदाराम को टिकट दिया है। पिछले लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर उम्मेदाराम ने अच्छा प्रदर्शन किया था। ऐसे में यहां भाजपा इस सीट पर मिल रही दोहरी चुनौती से टेंशन में है। 

डूंगरपुर—बांसवाड़ा में 'बाप' से मिल रही चुनौती

डूंगरपुर—बांसवाड़ा में भाजपा ने दांव खेल कर कांग्रेस के कद्दावर नेता एवं प्रमुख आदिवासी नेता महेंद्र जीत सिंह मालवीय को अपना बना लिया। लेकिन, यहां भारत आदिवासी पार्टी के बढ़ते वर्चस्व से भाजपा को चुनौती मिल रही है। बीएपी के उम्मीदवार राजकुमार रोत की सभाओं में भीड़ ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। हालांकि उसे काग्रेस प्रत्याशी की बगावत का फायदा मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस ने गठबंधन के तहत यह सीट बीएपी के लिए छोड़ने का निर्णय लिया था लेकिन प्रत्याशी ने नाम वापस नहीं लिया।
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