Lok sabha Election : मोदी, राम मंदिर, पानी, पेपर लीक और स्थानीय मुद्दों को लेकर जनता के बीच उम्मीदवार

  • लोकसभा की 12 सीटों पर मतदान 19 को, कल शाम थमेगा चुनाव प्रचार
  • कहीं वर्चस्व की लड़ाई तो कहीं मुख्यमंत्री और मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर 

योगेश सैन 

जयपुर। राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटों में से पहले चरण में 12 लोकसभा क्षेत्रों में मतदान 19 अप्रैल को होगा। इनमें चुनाव प्रचार अभियान बुधवार शाम थम जाएगा। भाजपा और कांग्रेस ने प्रचार में पूरी ताकत झौंक रखी है।

 इन 12 सीटों में 10 पर भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है। जबकि नागौर में भाजपा का मुकाबला आरएलपी से और सीकर में सीपीएम से है। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस गठबंधन के चलते चुनाव नहीं लड़ रही है। पीने और सिंचाई के लिए पानी, पेपर लीक, आरक्षण और राम मंदिर एवं राष्ट्रवाद के मुद्दे पर प्रत्याशी वोट मांग रहे हैं। वहीं, कुछ सीटों पर प्रत्याशियों में व्यक्तिगत वर्चस्व की लड़ाई भी देखने को मिल रही है। 


19 अप्रैल को पहले चरण में बीकानेर, चूरू, झुंझुनू, सीकर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर, अलवर, भरतपुर, करौली-धौलपुर, दौसा, श्रीगंगानगर और नागौर की सीटों पर मतदान होगा। इसके लिए प्रचार बुधवार शाम को थम जाएगा। जबकि दूसरे चरण में शेष 13 सीटों के​ लिए मतदान 26 अप्रैल को होगा। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में मिली हार—जीत को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने चुनावी रणनीति बनाई है। भाजपा तीसरी बार लगातार 25 सीटें जीतने के मिशन को लेकर मैदान में हैं वहीं, कांग्रेस हार की हैट्रिक इस बार नहीं बनने देना चाहती। ऐसे में कांग्रेस का फोकस उन सीटों पर हैं जहां विधानसभा चुनाव में उसे मजबूती मिली। जबकि भाजपा सभी 25 सीटों पर मजबूती के साथ मैदान में उतर रही है।


जयपुर शहर लोकसभा 

जयपुर शहर लोकसभा भाजपा ने दिग्गज नेता रहे भंवरलाल शर्मा की बेटी मंजू शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने पहले सुनील शर्मा को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उनके आरएसएस समर्थक संस्था के मंच पर जाने के पुराने वीडियो से उठे विवाद के बाद उन्होंने टिकट लौटा दिया। कांग्रेस ने बाद में पूर्व मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास को उम्मीदवार बनाया। समीकरणों के हिसाब से यहां भाजपा को मजबूत माना जा रहा है। शहरी सीट होने के कारण राम मंदिर, हिंदुत्व और मोदी फैक्टर हावी है। अल्पसंख्यक इलाकों में कांग्रेस का दावा मजबूत है। यहां आरएएस पूरी तरह सक्रिय नजर आ रही है।

 

जयपुर ग्रामीण लोकसभा 

जयपुर ग्रामीण सीट पर भाजपा ने पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह को टिकट दिया है। कांग्रेस ने सचिन पायलट समर्थक युवा नेता अनिल चोपड़ा को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर कांग्रेस भाजपा के बीच कड़ी ​टक्कर दिख रही है। राव राजेंद्र सिंह को भाजपा के मजबूत कैडर का समर्थन और राम मंदिर के मुद्दे की वजह से शहर-कस्बों में फायदा हो रहा है। कांग्रेस उम्मीदवार को युवा और नए चेहरे का फायदा होता दिख रहा है। जयपुर ग्रामीण की आठ विधानसभा सीटों में से 4 पर कांग्रेस और 4 पर भाजपा जीती थी। 


दौसा लोकसभा 

दौसा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। यहां पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. किरोड़ीलाल मीणा की प्रतिष्ठाा दांव पर है। कांग्रेस ने दौसा से विधायक मुरारीलाल मीणा को टिकट दिया है जबकि भाजपा ने बस्सी से पूर्व विधायक कन्हैया लाल मीणा को मैदान में उतारा है। यहां पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट का प्रभाव है और मुरारीलाल मीणा उनके खास माने जाते है। जबकि कन्हैया लाल मीणा को मोदी लहर और डॉ. किरोड़ीलाल मीणा पर भरोसा है। भाजपा पेपर लीक प्रकरण के बहाने मीणा समाज के युवाओं को साधने की कोशिश कर रही है। मीणा समाज का सरकारी नौकरियों में दबदबा किसी से छिपा नहीं है। यहां गुर्जर समाज भी निर्णायक है। पायलट के प्रभाव के चलते गुर्जर वोट मुरारी मीणा के पक्ष में जा सकते है। 


अलवर लोकसभा 

अलवर में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव की प्रतिष्ठा दांव पर है। यहां उनका मुकाबला कांग्रेस के विधायक ललित यादव से है। भाजपा इस सीट को मोदी लहर और राम मंदिर व राष्ट्रवाद के मुद्दे पर जीतने की कोशिश कर रही है। वहीं, कांग्रेस भूपेंद्र सिंह को बाहरी उम्मीदवार बताकर वोट मांग रही है और उसे इस सीट पर सफलता की उम्मीद है। यहीं वजह है कि कांग्रेस यहां स्थानीय मुद्दों पर वोट मांग रही हैं और उसके स्टार प्रचारकों का भी इस सीट पर खास फोकस है। प्रियंका गांधी को रोड़ शो इसी रणनीति का हिस्सा है। अलवर सीट का इतिहास रहा है कि यहां यादव उम्मीदवारों ने ही सबसे ज्यादा बार जीत हासिल की है। ऐसे में दोनों ही पार्टियों ने यादव वर्ग से प्रत्याशी उतार कर मुकाबला रोचक बना दिया है। ईआरसीपी को लेकर भी वोट मांगें जा रहे हैं। 


भरतपुर लोकसभा 

भरतपुर में मुख्यमंत्री भजनलाल ने भरतपुर—धौलपुर के जाटों को आरक्षण देने का वादा कर यहां मुकाबला एकतरफा करने की कोशिश की है। इस मुद्दे को लेकर जाट भाजपा से नाराज चल रहे हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले की इस सीट पर उनकी भी प्रतिष्ठा दांव पर है और ऐसे में वे लगातार इस क्षेत्र में सक्रिय है। यहां भाजपा के रामस्वरूप कोली का मुकाबला कांग्रेस की संजना जाटव से है। यहां ईआरसीपी के साथ जाअ आरक्षण मुख्य चुनावी मुद्दा बन गया है। इस आरक्षित सीट पर जाट समाज निर्णायक की भूमिका में रहेगा। 


करौली धौलपुर लोकसभा 

करौली—धौलपुर सीट पर एससी और एसटी वोटर काफी निर्णायक स्थिति में रहते हैं। सांसद मनोज राजोरिया का टिकट काट कर भाजपा ने इंदु देवी को प्रत्याशी बनाया है। इंदु देवी करौली की रहने वाली हैं और प्रधान रह चुकी हैं। वहीं कांग्रेस ने दो बार के विधायक एवं पूर्व मंत्री भजनलाल जाटव पर दांव खेला है। यहां पर बाहरी बनाम स्थानीय मुद्दा है। दरअसल, जाटव भरतपुर के हैं और वे धौलपुर में मजबूत है। जबकि जबकि इंदु देवी करौली की है। हालांकि करौली-धौलपुर की 8 विधानसभा सीट में से 5 पर कांग्रेस, 1 पर बसपा और 2 पर भाजपा है। 


श्रीगंगानगर लोकसभा 

श्रीगंगानगर में भाजपा ने चार बार से सांसद निहालचंद मेघवाल का टिकट काट अनूपगढ़ नगर परिषद की सभापति प्रियंका बैलान को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने कुलदीप इंदौरा को प्रत्याशी बनाया है। इंदौरा श्रीगंगानगर जिला प्रमुख भी हैं और राजनीतिक परिवार से आते हैं। यहां दोनों के बीच साीध मुकाबला है। किसान आंदोलन व फसलों की एमएसपी यहां बड़ा मुद्दा है।


बीकानेर लोकसभा 

आरक्षित सीट बीकानेर में भाजपा के तीन बार से सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का मुकाबला कांग्रेस के गोविंदराम मेघवाल से है। यहां दोनों प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर है और दोनों ही दलों को अपने—अपने परम्परागत वोट बैंक पर भरोसा है। इस सीट पर स्थानीय मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ा जा रहा है। राम मंदिर जैसा मुद्दा कोई प्रभावशाली नजर नहीं आ रहा। 


चुरू लोकसभा 

चुरू लोकसभा सीट पर मुकाबला भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए राहुल कस्वां और मोदी की पसंद अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देवेंद्र झांझड़िया के बीच है लेकिन, कस्वां का असल मुकाबला पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ से हो रहा है। दोनों नेता के बीच अदावत है। राजेंद्र राठौड़ की सक्रियता से यहां राजपूत वोटों का घु्व्रीकरण हो सकता है। वहीं, कस्वां को अपने पुरानी पार्टी के साथी कार्यकर्ताओं और नेताओं पर पर्दे के पीछे से समर्थन का भरोसा है। सीकर लोकसभा सीट पर भाजपा की हैट्रिक में कांग्रेस-सीपीएम का गठबंधन चुनौती दे रही है। यहां से कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा की साख जुड़ी हुई। दरअसल डोटासरा का गृह जिला सीकर है। कांग्रेस ने यहां सीपीएम से गठबंधन कर अमराराम को समर्थन दिया है। जबकि भाजपा ने दो बार से इस सीट पर जीत रहे सुमेधानन्द सरस्वती को ही तीसरी बार मौका दिया है। 


झुंझुनूं लोकसभा 

झुंझुनूं लोकसभा उन सीटों में शामिल है, जहां कांग्रेस और भाजपा में अच्छी टक्कर होगी। भाजपा से शुभकरण चौधरी और कांग्रेस से विधायक बृजेंद्र ओला मैदान में हैं। शेखावाटी में ओला परिवार की राजनीतिक विरासत का प्रभाव है। बृजेंद्र के पिता शीशराम ओला इसी सीट से 1996 से 2009 तक लगातार सांसद रहे थे। कांग्रेस ने इस लोकसभा क्षेत्र में शामिल 8 में से 6 विधानसभा सीटें जीती थीं। ऐसे में कांग्रेस का प्रदर्शन भी बृजेंद्र ओला का उत्साह बढ़ा रहा है। पीने और सिंचाई के​ लिए पानी यहां मुख्य चुनावी मुद्दा है। भाजपा ने इसके लिए यमुना का पानी लाने का वादा किया है। 


नागौर लोकसभा

नागौर में पार्टी की जगह वर्चस्व की लड़ाई आरएलपी के हनुमान बेनीवाल और भाजपा की ज्योति मिर्धा के बीच है। इस लड़ाई में उपराष्ट्रपति तक को घसीट लिया गया है। कांग्रेस ने गठबंधन के तहत यह सीट आरएलपी के लिए छोड़ी है। यहां मुकाबला एक ही समाज से जुड़े दो बड़े चेहरों के बीच है। जाट वोटर्स का बंटवारा होने से इस सीट पर मूल ओबीसी वोटर्स व अल्पसंख्यक वोटर्स निर्णायक की स्थिति में है। साल 2019 में हनुमान बेनीवाल ने भाजपा के एनडीए अलायंस के साथ आरएलपी प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। उस समय ज्योति मिर्धा बतौर कांग्रेस प्रत्याशी उनके सामने मैदान में थीं। ऐसे में नागौर में एक बार फिर 'वहीं घोड़े और वही मैदान' हैं, लेकिन प्रत्याशियों के पाले बदल गए हैं।

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