नवतपा का ज्योतिषीय और वैज्ञानिक महत्व
नवतपा या नौतपा को लेकर ज्योतिषीय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण बहुत खास है। दोनों ही नौतपा को अच्छे मानसून के लिए महत्वपूर्ण मानते है। नौ तपा नौ दिन का होता है। नवतपा के दौरान गर्मी के तेवर तीखे हो जाते है और इनके आधार पर बारिश की भविष्यवाणी की जाती है।
शनिवार, 25 मई 2024 से नवतपा शुरू हो रहा है। ये सोमवार 3 जून 2024 तक रहेगा। इन नौ दिन में सूर्य देव अपने पूरे तेवर में नजर आएंगे। ज्यादातर इलाकों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार रह सकता है। लू और बवंडर का प्रकोप रहेगा।
क्या है नौतपा
25 मई को सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इसके साथ ही सूर्य अपने पूरे प्रभाव में आ जाएगा, जिससे गर्मी में बढ़ोतरी होगी। मान्यताओं में इस समय को नवतपा और रोहिणी का तपना भी कहा जाता है। सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो नवतपा शुरू होता है। नवतपा यानी नौ दिनों तक सूर्य का तपना। इन नौ दिनों के मौसम देखकर को बारिश की भविष्यवाणियां करते हैं। नवतपा में दिन बड़े और रातें छोटी हो जाती हैं।
नौतपा का पौराणिक महत्व
नौतपा का ज्योतिष के साथ-साथ पौराणिक महत्व भी है। ज्योतिष के सूर्य सिद्धांत और श्रीमद् भागवत में नौतपा का वर्णन मिलता है। जब से ज्योतिष की रचना हुई, तभी से ही नौतपा भी चला आ रहा है। ज्योतिषों का कहना है कि चंद्रमा जब ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आर्द्रा से स्वाति नक्षत्र तक अपनी स्थितियों में हो और इसके साथ ही अधिक गर्मी पड़े, तो वह नौतपा कहलाता है। वहीं अगर सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होता है तो उस दौरान बारिश हो जाती है तो इसे रोहिणी नक्षत्र का गलना भी कहा जाता है।
नौतपा है मानसून का गर्भकाल
मान्यता है कि सूर्य की गर्मी और रोहिणी के जल तत्व के कारण यह मानसून का गर्भ आ जाता है और इसी कारण नौतपा को मानसून का गर्भकाल माना जाता है। ऐसे में जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होता है तो उस समय चंद्रमा नौ नक्षत्रों में भ्रमण करते हैं।
नौपता का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक मतानुसार नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर आती है। इससे तापमान बढ़ता है। अधिक गर्मी के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है जो समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है। इस कारण ठंडी हवाएं मैदानों की ओर बढ़ती है। चूंकि समुद्र उच्च दबाव वाला क्षेत्र होता है इसलिए हवाओं का यह रूख अच्छी बारिश का संकेत देता है।
नौतपा पर परंपरा
- पौराणिक परंरपरा के अनुसार नौतपा के दौरान महिलाएं हाथ पैरों में मेहंदी लगाती हैं। क्योंकि मेहंदी की तासीर ठंडी होने से तेज गर्मी से राहत मिलती है।
- इन दिनों में पानी खूब पिया जाता है और जल दान भी किया जाता है ताकि पानी की कमी से लोग बीमार न हो।
- इस तेज गर्मी से बचने के लिए दही, मक्खन और दूध का उपयोग ज्यादा किया जाता है।
- इसके साथ ही नारियल पानी और ठंडक देने वाली दूसरी और भी चीजें खाई जाती हैं।
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