कामदा एकादशी का व्रत करने से मिलता यह फल

 कामदा एकादशी मंगलवार, 27 मार्च 2018 को मनाई जाएगी।

कामदा एकादशी का व्रत चैत्र शुक्ल पक्ष में एकादशी को  किया जाता है। इस एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि कामदा एकादशी को व्रत करने से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे पाप से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं इस व्रत को करने से पिशाच योनि से भी मुक्ति मिलने की बात धर्म ग्रंथों में कही गई है। 

कामदा एकादशी व्रत  


कामदा एकादशी के व्रत (Kamada Ekadashi Ka Vrat) की कथा का उल्लेख धर्म ग्रंथों में मिलता है। इस व्रत के महत्व को बताने वाली कहानी व्रत के दौरान सुनी जाती है। इस कहानी को सुनने तथा सुनाने से व्यक्ति को वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। यह व्रत दशमी तिथी से प्रांरभ होता है। रात में भगवान ​कृष्ण के मंत्रों को जाप किया जाना चाहिए। एकादशी को पूर्व विधि विधान से व्रत का पालन करना चाहिए तथा द्वादशी को ब्राह्मण भोजन कर इस व्रत को पूर्ण ​करना चाहिए। 


कामदा एकादशी की व्रत कथा

बहुत समय पहले की बात है। पुण्डरीक नामक राजा हुए थें। उनके राज में सभी तरह के सुख मौजूद थे। वह समृद्ध और बलशाली थे। उनके राज्य में अप्सराएं, गंधर्व, नाग, किन्नर आदि निवास करते थे। राजा को दरबार में संगीत सुनने का बहुत शौक था। एक दिन गंधर्व ललित राजा के दरबार में गायन कर रहे थे। अचानक उनके स्वर, लय और ताल बिगड़ जाते है। दरअसल उस वक्त ललित को अपनी पत्नी ललिता की याद आ जाती है। वह भी उसके साथ उसी राज्य में रहती थी। दोनों में अगाध प्रेम था। 

संगीत में व्यवधान देख राजा को गुस्सा आ जाता है। वह ललित को राक्षस बनने का श्राप दे देते है। ललित राक्षस बन जाता है और इधर—उधर भटकने लगता है। ललिता को यह बात पता चलती है तो वह बहुत दुखी होती है। वह भी उसके पीछे पीछे चलती रहती है। एक दिन वह ऋषि श्रंगी के आश्रम में पहुंचती है। ऋषि को अपने दुख के बारे में बताती है और अपने पति के उद्धार की विनती करने लगती है। इस पर ऋषि उसे कामदा एकादशी का व्रत करने के लिए कहते है। उन्होंने बताया कि यह एकादशी चैत्र माह में शुक्ल पक्ष में आती है। इसक पुण्य से तेरा पति श्राप मुक्त हो जाएगा। 

ललिता ने ऋषि की आज्ञा मानी और कामदा एकादशी का व्रत किया। कामदा एकादशी के व्रत के प्रभाव से उसका ललित राक्षस योनि से मुक्त हो जाता है। वह और ललिता सुखपूर्वक रहने लगते है। 
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