पौष का महत्व: सूर्य की करें पूजा, बढेगा मान-सम्मान

हिन्दू पंचाग विक्रम संवत् में 12 महीने होते है और दसवां महीना पौष का होता है। पौष महीना कई मायनों में खास है।

पौष को सूर्य आराधना और दान पुण्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। सोमवार, 4 दिसंबर 2017 से पौष का महीना शुरू होगा। 


इस मास में सूर्य देव की उपासना भग नाम से की जाती है। हेमंत ऋतु के इस मास में सर्दी बहुत अधिक होती है। मान्यता है कि पौष माह में सूर्यदेव ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तपकर सर्दी से राहत देते हैं। आ

आदित्य पुराण में पौष माह के महत्व का उल्लेख है। इसके अनुसार पौष महीने में तांबे के बर्तन में शुद्ध जल, लाल चंदन व लाल रंग के फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य देने और सूर्य मंत्र का जाप करने से व्यक्ति तेजस्वी बनता है। इस महीने रविवार व्रत का विशेष फल मिलता है। व्यक्ति की कीर्ति बढ़ती है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

इसलिए पौष माह कहते है

दरअसल, भारतीय महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं। जिस महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। पौष मास की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है। इसलिए यह दसवां महीना पौष का महीना कहलाता है। 

पौष का पूरा महीना ही धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पौष में कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी और शुक्ल पक्ष को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। पौष अमावस्या और पौष पूर्णिमा का भी बहुत अधिक महत्व माना जाता है। पितृदोष, कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी इस दिन उपवास रखने के साथ-साथ विशेष पूजा अर्चना की जाती है। नदी स्नान का भी महत्व है। 


Share on Google Plus

About Tejas India

0 comments:

Post a Comment