31 किलो सोने के बर्तन में लगता है भोग

मेवाड़ के गढ़बोर में प्रसिद्ध चारभुजानाथ में फागोत्सव की परंपरायें अनोखी है। चारभुजानाथ में होली के बाद 15 दिन चलने वाले फागोत्सव अनूठा है। इस उत्सव में शामिल होने के लिये देश के कौन—कौने से लोग गढ़बोर पहुंचते है। 


गढ़बोर राजमसंद जिले के कुंभलगढ़ तहसील में स्थित है। चारभुजा नाथ जी का फागोत्सव प्रसिद्ध है। फागोत्सव में गुलाल उड़ाने का खास महत्व है। तकरीबन चार क्विंटल गुलाल इस फागोत्सव में उड़ाई जाती है। इस दौरान यहां मंदिर परिसर और बाहर रास्ते गुलाल में रंग जाते है। लोग सड़कों पर फाग और नृत्य करते हुये नजर आते है। एक अनोखी मस्ती इस दौरान यहां नजर आती है। प्रसिद्ध फागोत्सव को देखने के लिये राजस्थान के विभिन्न इलाकों, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र तथा विदेशों से लोग आते है। भक्तों के कई जत्थे यहां दूर—दराज से पैदल भी पहुंचते है। 



ठाकुरजी को लगता है अफीम का भोग 


फागोत्सव के दौरान चारभुजा जी में ठाकुरजी को अफीम और भांग का विशेष भोग लगाया जाता है। बाद में इस प्रसाद के रूप में बांटने की परंपरा है। वैसे तो यहां सालभर की सेवा में चांदी के बर्तन काम में लिए जाते हैं, लेकिन फागोत्सव में भोग बनाने के लिए सोने के बर्तन काम में आते है। भोजन पकाने के लिये जल 17 किलो वजनी सोने के घड़े में आता है। जबकि 56 भोग धराने के लिए 14 किलो वजनी सोने की थाली, कटोरी और चम्मच काम में लिये जाते है। यह प्रसिद्ध मंदिर करीब पांच हजार साल प्राचीन है। 
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