कुंभ 2019: यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत में शामिल हैं कुंभ जानिये क्यों

कुंभ का मेला प्रयागराज में 14-15 जनवरी से शुरू होगा। इसके लिए अखाड़ों का शाही प्रवेश प्रयागराज में शुरू हो चुका है। 

इलाहाबाद में कुंभ की तैयारियों के बीच मंगलवार से अखाड़ों का शाही प्रवेश शुरू हो गया। इसकी शुरूआत सबसे बड़े श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा और श्रीपंच अग्नि अखाड़े से हुई। विधिवत रूप से ये पेशवाई अखाड़े के शिविर मौज गिरि से सुबह 11 बजे गाजे बाजे के साथ शुरू हुई। पेशवाई में अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि मौजूद थे। 

पेशवाई के दौरान बड़ी संख्या में अखाड़े के महंत और संत घोड़ों, हाथी और ऊंटों पर सवार होकर निकले। जयकारों से संगमनगरी गूंज उठी। नागाओं ने लाठी-डंडों के करतब दिखाए। कोई हाथ में तलवार लेकर नजर आया तो कोई भोले बाबा का त्रिशूल लेकर करतब दिखा रहा था। 

हिंदुओं की धार्मिक आस्था के केंद्र कुंभ मेले को यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल किया गया है। कुंभ को दिसंबर 2017 में यूनेस्को ने सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया है। 

कुंभ मेला इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में लगता है। इसमें देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु एकत्र होकर पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। यूनेस्को के अनुसार, कुंभ मेला धार्मिक उत्सव के तौर पर सहिष्णुता और समग्रता को दर्शाता है। यह खासतौर पर समकालीन दुनिया के लिए अनमोल है। कुंभ मेले को दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम के तौर पर समझा गया है। कुंभ मेले को बोस्तवाना, कोलंबिया, वेनेजुएला, मंगोलिया, मोरक्को, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात की धरोहरों के साथ सूची में शामिल किया गया है। 

Share on Google Plus

About Tejas India

0 comments:

Post a Comment