लकम्मा देवी मंदिर कनार्टक में स्थित है। यह मंदिर अपने आप में अनोखा है। लकम्मा देवी के मंदिर में भक्त चप्पल-सैंडिल चढ़ाते हैं। इसके पीछे अनूठी मान्यताएं है।
देश में बहुत से अनोखे मंदिर है। उनसी जुड़ी परम्पराएं भी अनूठी है। कर्नाटक के गुलबर्ग जिसे कलबुरगि भी कहते है, एक अनोखे मंदिर के लिये भी जाना जाता है। यहां का लकम्मा देवी मंदिर (Lakkamma Devi Temple ) प्रसिद्ध है। यहां भक्त मंदिर परिसर में स्थित नीम के पेड़ पर चप्पल या सैंडिल टांगते है।
मान्यता है कि देवी यहां टांगी गई चप्पल को रात मे पहनती हैं। जिससे चप्पल चढ़ाने वाले के दुख दर्द दूर हो जाते है। दिवाली के बाद आने वाली पंचमी पर यहां मेले का आयोजन होता है। इस मेले में दूर-दूर से भक्त आते है और नीम के पेड़ पर चप्पल टांग कर जाते हैं। इस आयोजन को फुटवियर फेस्टीवल के नाम से भी जाना जाता है।
चप्पल टांगने के पीछे मान्यता
लकम्मा देवी मंदिर को लेकर मान्यता है कि देवी मां एक बार गांव की पहाड़ी पर टहल रही थी। इस दौरान दुत्तारा गांव के देवता की नजर उन पर पड़ी। उसके बाद दुत्तारा गांव के देवता ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया। देवी बचने के लिए अपने सिर को जमीन में धंसा लिया था। लकम्मा देवी का मंदिर उसी स्थान पर बनाया गया है और माता की मूर्ति को उसी व्यवस्था में रखा गया है। लोग आज भी देवी मां की पीठ की पूजा करते हैं।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में बैलों की बलि दी जाती थी। सरकार बलि पर रोक लगा दी। इससे यहां बलि देना बंद हो गया। लोगों का कहना है कि उसके बाद देवी मां क्रोधित हो गई थी। उन्हें शांत करने के लिए यह परंपरा शुरू की गयी थी।
ऐसी एक मान्यता है कि यहां चप्पल टांगने से पैरों और घुटनों का दर्द सदैव के लिए दूर हो जाता है। इस लिये यहां बड़ी संख्या में पैर के दर्द से परेशान भक्त ये टोटका करने पहुंचते हैं।
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