दिवाली पर लक्ष्मी जी के साथ गणेशजी की पूजा होती है। लक्ष्मी जी के साथ भगवान विष्णु की पूजा नहीं की जाती। इसके पीछे अलग-अलग मान्यताएं है।
दिवाली कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा का विधान है। लक्ष्मी जी के साथ भगवान गणेश की भी पूजा होती है। मान्यता है कि गणेशजी की पूजा से धन स्थायी रूप से रहता है।
यह तो सभी जानते है कि लक्ष्मी जी को विष्णु प्रिया कहा है जाता है। वह भगवान विष्णु की पत्नी है। ऐसा होने पर दिवाली के दिन भगवान विष्णु लक्ष्मी जी के साथ नहीं पूजे जाते है। आखिर, दिवाली पर भगवान विष्णु की पूजा क्यों नहीं होती, जानते है।
इसका एक विशेष कारण है। दिवाली का त्योहार चतुर्मास में आता है। मान्यता है कि चतुर्मास में भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन रहते है। इस वजह से दिवाली पर उनकी उपस्थिति नहीं होती। भगवान देवउठनी एकादशी के दिन जागते है और उस दिन देव दिवाली मनाई जाती है। दिवाली चातुर्मास के दौरान पड़ती है लिहाजा उनकी निद्रा भंग न हो इसलिए दिवाली के दिन उनका आह्वान-पूजा नहीं की जाती है।
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