Lok Sabha Election : भाजपा में षड़यंत्र की आहट, शीर्ष नेतृत्व की बढ़ी चिंता


योगेश सैन

जयपुर। राजस्थान में राजनीति के रंग पल—पल बदल रहे हैं। नेताओं की अदावत और मोहब्बत रोज नए खेल दिखा रही है। सियासी बिसात में शह—मात का खेल चल रहा हैं और नेताओं का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में आना—जाना भी लगा हुआ है। इस बीच, आम कार्यकर्ता, जिसके बूते राजनीति पार्टी का वर्चस्व बना हुआ है, वह खुद को ना केवल ठगा सा महसूस कर रहा हैं बल्कि यह समझ नहीं पा रहा कि चुनाव में किसका साथ दें। जिन नेताजी के लिए वह कल तक दिन—रात एक कर रहा था, अब पाला बदल चुके हैं। वह धर्म संकट में हैं कि पार्टी की रीति नीति का साथ रहे या फिर नेताजी के साथ मौकापरस्त हो जाए। 

राजस्थान की राजनीति में पिछले छह महीने से अप्रत्याशित उलट—फेर देखने को मिल रहे है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा में कई नेताओं का टिकट कटा तो कुछ बागी हुए और चुनाव लड़ा। वहीं, कुछ ने भितरघात कर पार्टी प्रत्याशियों के लिए जीत की राह को मुश्किल कर दी। उस समय की यह अदावत अब लोकसभा चुनाव में खुलकर सामने आ गई है। आरोप—प्रत्यारोप के दौर चल रहे हैं। कुछ पर पार्टी नेतृत्व ने साम—दाम—दंड—भेद का साहरा लेकर दबाया लेकिन, उनके भीतर अदावत की आग अभी जल रही है। लोकसभा चुनाव में यह आग विकराल ना हो जाए, इसको लेकर कमल वाली पार्टी के नेताओं में खासी चिंता है। प्रदेश के खांटी नेताओं के बीच अदावत राजस्थान में 'अबकी बार 25 पार' पर भारी पड़ती नजर आ रही है। कुछ हॉट सीटों पर 'मोदी तूझसे वैर नहीं और ....की खैर' नारों का 'अंडर करंट' प्रत्याशियों को सोने नहीं दे रहा। 

जोधपुर में सबकुछ ठीक नहीं

सबसे पहले बात करते हैं मारवाड़ की। लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ शेरगढ़ से विधायक बाबूसिंह राठौड़ ने मोर्चा खोला। संजीवनी मामले से लेकर कई मामलों आरोप लगाए और मामला पुलिस तक पहुंचा। धरना—प्रदर्शन हुआ। अब पार्टी नेतृत्व दोनों में सुलह के दावे कर रहा हैं और सबूत के तौर पर 'साथ—साथ' वाली तस्वीर भी मीडिया में आई। लेकिन, पार्टी नेतृत्व को अभी यहां सबकुछ ठीकठाक नजर नहीं आ रहा है। सूत्रों की मानें तो राठौड़ गुट यहां शेखावत के लिए चुनाव में मुसीबत खड़ी कर सकता है। इधर, पूर्व मंत्री अशोक गहलोत के खास माने जाने वाले पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच और राजपूत समाज के अध्यक्ष हनुमान सिंह के कांग्रेस से भाजपा में चले जाने से यहां से कांग्रेस प्रत्याशी करण सिंह को नुकसानदायक हो सकता है। 

पुरानी अदावत एक ही दिन में कैसे खत्म हो गई?

कुछ ऐसे ही हालात मेवाड़ में बनते नजर आ रहे है। चित्तौड़गढ़ सीट से भाजपा ने पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी को चुनाव मैदान में उतारा है। टिकट तय होने के समय निर्दलीय विधायक बने चंद्रभान सिंह आक्या ने जोशी के लिए मुश्किलें खड़ी की। यहां तक कि उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो पार्टी चिंता में आ गई। बाद में आक्या ने पार्टी प्रत्याशी को समर्थन देने की घोषणा की। जबकि इन दोनों के बीच अदावत नई नहीं है। आक्या और उनके समर्थकों का कहना है कि सीपी जोशी ने ही विधानसभा चुनाव में टिकट कटवाया था। लगातार दो बार विधायक रहने और जिताऊ प्रत्याशी होने के बावजूद आक्या का टिकट काट दिया गया था। सीपी जोशी और चंद्रभान सिंह आक्या छात्र राजनीति से ही आमने सामने रहे हैं। ऐसे में आक्या का लगातार आगे बढ़ना सीपी जोशी को पसंद नहीं आ रहा था। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व यहां अंदरूनी तौर पर डैमेज कंट्रोल के लिए सक्रिय है क्योंकि सवाल उठाता है कि सालों पुरानी अदावत एकाएक कैसे खत्म हो सकती है?

शेखावटी में दो धड़ों में बंटे भाजपा कार्यकर्ता 

शेखावटी में भी भाजपा कार्यकर्ता दो धड़े में बंट सकते है। जो पार्टी की रीति नीति के साथ हैं वे मोदी की पसंद देवेंद्र झांझड़िया के साथ नजर आएंगे। वहीं, कस्वां परिवार के साथ खड़े भाजपा के कार्यकर्ता, अब जब राहुल कस्वां कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं, ऐसे में वे क्या भाजपा के साथ रहेंगे? यह बड़ा सवाल यहां उठ रहा है। कस्वां गुट के कार्यकर्ताओं पर पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ कई बार सियासी निशाना साध चुके हैं कि विधानसभा चुनाव में उनकी अप्रत्याशित हार की वजह कस्वां रहे हैं। 

हाड़ौती में भाजपा—कांग्रेस दोनों परेशान 

इधर, हाड़ौती में समीकरण बिगड़े हुए हैं। स्पीकर ओम बिड़ला का मुकाबला यहां पर भाजपा के पूर्व विधायक रहे कांग्रेस प्रत्याशी प्रहलाद गुंजल से है। दोनों ही नेताओं का भाजपा कार्यकर्ताओं पर दबादबा माना जाता है। गुंजल के कांग्रेस में जाने के बाद यहां कार्यकर्ता पसोपेश में हैं कि वे व्यक्ति के साथ रहे या फिर पार्टी की रीति—नीति के साथ। उधर, गुंजल और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री शांति धारीवाल के बीच अदावत जगजाहिर है। पिछले दिनों मंच पर भी दोनों भिड़ चुके हैं। हालंकि बाद में केंद्रीय नेतृत्व के दबाव में धारीवाल ने कहा कि सब कुछ ठीक है। लेकिन, कार्यकर्ताओं के गले सब कुछ ठीक वाली बात उतर नहीं रही है।  

आरएलडी के विधायक का धर्म संकट 

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजस्थान में आरएलडी के लिए भरतपुर की सीट छोड़ी और कांग्रेस के समर्थन से सुभाष गर्ग चुनाव जीते हैं। अब गर्ग इस समय धर्म संकट में है। दरअसल, केंद्र में आरएलडी और भाजपा का गठबंधन है। आरएलडी के नेता बीकानेर, हनुमानगढ़ समेत कई इलाकों में दौरों पर हैं। ऐसे में गर्ग के लिए लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के लिए प्रचार करना मजबूरी बन गया है।

बांसवाड़ा में कांग्रेस करेगी अपने प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार

बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर कांग्रेस मुसीबत में फंसी है। उसे यहां अपने अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ का प्रचार करना पड़ा है। वहीं, कांग्रेस कार्यकर्ता यहां असमजंस में हैं कि वे भारत आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी राजकुमार रोत का समर्थन करें या फिर कांग्रेस के प्रत्याशी का। वहीं, दूसरी तरफ, भारत आदिवासी पार्टी प्रदेश की कुछ अन्य सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ प्रचार कर रही है। ऐसे में इस गठबंधन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। 

पाली में पीपी चौधरी को लेकर कार्यकर्ता 

कमोबेश पाली को लेकर भी भाजपा नेता परेशान है। यहां भाजपा सांसद पीपी चौधरी और पूर्व विधायक ज्ञानचंद पारख और अन्य जनप्रतिनिधियों के बीच मतभेद है। इसे दूर करने की कोशिशें कितनी सफल रही, यह चुनाव परिणाम बताएगा। कुछ साल पहले यहां चौधरी के खिलाफ लामबंद पार्टी के कई नेताओं ने तत्कालीन नेतृत्व को ज्ञापन भी दिया था। ऐसे में उन्हें एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ सकता है।

राजे गुट की शांति पर सवाल

विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर विवादों के चलते पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे खासी नाराज रही। राजस्थान की राजनीति में वे बड़ा चेहरा मानी जाती है। विधानसभा चुनाव और अब लोकसभा चुनाव में उनके गुट के विधायकों और नेताओं के टिकट काटे गए। विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का चेहरा भी बदला और भजनलाल शर्मा को कमान सौंपी। आरएसएस के नेताओं के साथ उनकी अदावत जगजाहिर है। ऐसे में राजनीति के पंड़ित आशंकित है कि कि राजे गुट के भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं की लोकसभा चुनाव में शांति भाजपा के संकट खड़ा नहीं कर दें। राजे भी चुनाव प्रचार में नजर नहीं आ रही है। उनका दायरा पुत्र के चुनाव क्षेत्र तक सीमित नजर आ रहा है।   


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