वास्तु के अनुसार सीढ़िया कहां, कितनी और कैसी होनी चाहिए

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Vastu Tips For Stairs घर में सीढ़ियां वास्तु के अनुसार बनानी चाहिए। सीढ़ियों में वास्तुदोष होने पर कई तरह की परेशानी होती है। सीढ़ियों में वास्तुदोष कई तरह से हो सकता है। सीढ़ियों की संख्या कितनी होनी चाहिए? किस दिशा में सीढ़ियों होनी चाहिए? सीढ़ियों का वास्तुदोष कैसे दूर किया जाए? इस बारे में इस पोस्ट में जानते हैं। 

सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि सीढ़ियों का संबंध घर में रहने वालों की उन्नति से जुड़ा हुआ है। यदि वास्तु के अनुसार सीढ़ियां नहीं बनी है तो कई तरह की परेशानियां खड़ी होती है। घर में विवाद, व्यवसाय में घाटा, नौकरी में परेशानी, शिक्षा में अवरोध जैसी कई तरह की समस्याएं सीढ़ियों के वास्तुदोष से हो सकती है।  

घर में सीढ़ियों की सही दशा

उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य की हानि, नौकरी एवं व्यवसाय में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दक्षिण, पश्चिम या नैऋत्य कोण को सीढ़ियों की दिशा माना जाता है। बेसमेंट के लिए सीढ़ियां पूर्व, उत्तर या ईशान कोण में होनी चाहिए। भूतल की छत पर या पहली मंजिल पर जाने के लिए सीढि़यां उत्तर-पूर्व या ईशान कोण में नहीं बनानी चाहिए। इस दिशा में सीढ़ी का होने से उन्नति में बाधा उत्पन्न होती है। दक्षिण-पूर्व मतलब आग्नेय में सीढ़ियों के होने से बच्चों के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहता है।

सीढ़ियों की संख्या कितनी होना चाहिए : 

सीढ़ियां हमेशा विषम संख्या में हों। जैसे- 3, 5, 7, 9, 11, 13, 15, 17, 23, 29 आदि संख्‍या में हो। आम तौर पर घर में 17 सीढ़ियां शुभ मानी जाती हैं।

ऐसी होनी चाहिए सीढ़ियां  

सीढ़ियां कई प्रकार की होती है। जैसे- लकड़ी, पत्थर, सीमेंट या लोहे की। सीढ़ियां खासकर पत्थर या लकड़ी की होना चाहिए। सीढ़ियों की बनावट ऐसी हो कि चढ़ने में परेशानी ना हो। वृद्ध या कमजोर भी आसानी से चढ़-उतर सकें। सीढ़ियों का प्रत्येक पायदान बराबर होना चाहिए। सीढ़ियों के किनारे टूटे-फूटे नहीं होने चाहिए। ध्यान रहे कि लोहे या धातु के फ्रेम कभी सीढ़ियों में नहीं लगाने चाहिए। 
सीढ़ियों के दोनों ओर या तो डिजाइनदार रेलिंग हों या फिर मजबूत पतली दीवार होना चाहिए। सीढ़ियों पर या उसकी दीवारों पर देवी-देवताओं के चित्र नहीं होना चाहिए। कई सरकारी कार्यालयों या सार्वजनिक स्थानों पर सीढ़ियों की दीवार पर देवी—देवताओं की टाइल्स लगा दी जाती है। यह उचित नहीं है। यह उपाय इसलिए किया जाता है ताकि लोग वहां गुटखा ना थूंके। 

सीढ़ियों का घुमाव का भी रखना चाहिए ध्यान 

यदि घुमावदार सीढ़ियां हों, तो फिर इसका घुमाव बाएं से दाएं हाथ की ओर होना चाहिए। खासकर दक्षिणावर्ती घुमाव उचित है। सीढि़यों के नीचे यदि जगह खाली है तो स्टोर या स्विच रूम बनाया जा सकता है लेकिन उसके नीचे दुकान, टॉयलेट, बाथरूम, लेटने का पलंग या बैठने का आसन नहीं होना चाहिए। 

सीढ़ियों को लेकर सबसे महत्वपूर्ण 

सीढ़ियां कभी भी घर, मकान या दुकान के बीचों-बीच या ब्रह्मा स्थान में नहीं होनी चाहिए। अंदर की बजाय घर के बाहर बनी सीढ़ियां अधिक सुविधाजनक होती हैं। सीढ़ी की चौड़ाई 10 इंच और ऊंचाई 8 इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए। बड़ी इमारतों, सार्वजनिक स्थानों और व्यापारिक परिसरों में यह नियम लागू नहीं होता। घर के मुख्य द्वार के एकदम सामने सीढ़ियां नहीं होना चाहिए। 

यह जानकारी सूचनात्मक है। इस बारे में योग्य वास्तुशास्त्री से सलाह लेना उचित रहेगा। 


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